"मम्मी, दादी अच्छी नहीं हैंं।वो मुझे प्यार नहीं करतीं।"
"नहीं बच्चे,दादी के लिए ऐसा नहीं बोलते , अपनी मृदु को प्यार नहीं करेंगी तो किसे करेंगी !"
"फिर , वो मुझे 'ऐ लड़की' कहकर क्यों बुलाया करती हैं ?"
"वो तो तुम्हें मीर्दु बोलती हैं ?"
"वो सिर्फ आपके और पापा के सामने। आप दोनों के ऑफिस जाते मुझे 'ऐ लड़की' बोलती हैं। और और...वो बोलती हैं ,कितनी भी कोशिश कर लूँ मैं आपके और पापा जितनी तेज नहीं बन सकती । मैं किसी और मिट्टी की बनी हुई हूँ ,पता नहीं किसकी गलती हूँ और भी ना जाने क्या ,क्या। सही बोलती हैं शायद, देखो मेरे ग्रेड्स कितने बुरे आते हैं। इसबार भी आपदोनों को मैम के सामने शर्मिंदा होना पड़ा था।"
"मेरी प्यारी मृदु, तुम्हें इससे क्या फर्क पड़ता है कोई तुम्हें क्या बोलता है ? पापा और मम्मा आपको बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। तुम क्यों भूल हो किसी की ,तुम हमारे जीवन का सबसे अनमोल तोहफा हो। मन छोटा ना करो । हम कहाँ शर्मिंदा हुए ,उल्टे तुम्हारी आर्ट मैम ने तो तुम्हारी इतनी तारीफ की कि मेरा और तुम्हारे पापा का सीना गर्व से फूल उठा।इतना मत सोचो। मैं दादी से बात करूँगी।"
पूर्वा ने किशोरावस्था में कदम रख रही बेटी को गले से लगाकर जी भर कर प्यार किया। बिटिया माँ के प्यार भरे बोल और इस स्पर्श को पाकर उछलती कूदती खेलने के लिए चल पड़ी....तितली की तरह उड़ती हुई।
सच, मृदु तितली बनकर ही तो आई है उसकी बगिया में। अपनी सूनी बगिया में बसंत का इंतजार करते करते पूर्वा थक चुकी थी, तब उसने और राघव ने मृदुला को गोद ले लिया। अम्मा की ओर से विरोध तब भी हुआ था लेकिन वह प्रतिरोध ऐसा रूप धारण कर लेगा, उसे अंदेशा न था। एक प्यारी सी अल्हड़ लड़की जिसपर वंश और कुल की दुहाई देते हुए अपेक्षाओं का बोझा बाँध दिया गया है। देखने वाले इसी इंतजार में हैं कि वह इस बोझ तले दबकर रह जाए और वे ताली बजा -बजा कर हँसे। लेकिन पूर्वा ने भी दृढ़संकल्प कर लिया कि वो अपनी बगिया की तितली, अपनी मृदु को अम्मा जी की दकियानूसी विचारधारा से बंधनमुक्त करके रहेगी और उसे अपना मनचाहा आकाश प्रदान करेगी जहाँ वो जी भरकर उड़ान भरती रहे !
तिन्नी श्रीवास्तव,
मौलिक एवं स्वरचित ।
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