फरवरी का महीना आया नहीं कि मौसम गुलाबी ठंड के साथ गुलाबी - गुलाबी सा हो जाता है। यहीं तो है प्यार का रंग ! चहुँ ओर प्यार की खुमारी छा जाती है, प्रकृति भी मानो पूरे जोर शोर से इस प्यार के मौसम का आग़ाज़ करना चाहती है।पूरा माहौल सुहावना बन जाता है।शहरों में भी शॉपिंग मॉल, होटल ,सिनेमा हॉल आदि लाल-लाल दिल के आकार वाले गुब्बारों से सज जाते हैं। यहीं तो है आज के युवाओं का त्यौहार वैलेंटाइन डे जो कि महज एक दिन में न सिमट कर पूरे हफ्ते या पूरे फरवरी महीने चलता है।
लेकिन आज मैं यहाँ आपको प्रेमी प्रेमिकाओं वाली कहानी सुनाने नहीं आई हूँ। ये खास कहानी है मेरी मौसी और उसके पोते सरीखे 'पुलक 'की। मेरे मौसा मौसी दुर्गापुर में रहते हैं। उनके तीनों बच्चे विदेश में हैं। साल दो साल में बच्चों का भारत आना या मौसा मौसी का उनके पास जाना लगा रहता है।मौसा मौसी अपने जीवन का सातवां दशक बिता रहें हैं पूरी जिंदादिली के साथ। हालांकि वृद्धावस्था की चुनौतियां भी हैं साथ में, लेकिन उनके जीवन जीने का तरीका हम सब के लिए प्रेरणादायी है। परिवार में, पड़ोस में, दोस्तों के बीच कोई भी अवसर हो वहाँ अपनी चुस्त उपस्थिति से महफिल की जान बन जाते हैं दोनों।
हाँ, तो अब बताती हूँ पुलक के बारे में। 15-16 साल का पुलक मेरे मौसा के पड़ोसी मिस्टर चटर्जी का पोता है। बचपन से ही वह मेरी मौसी का बहुत बड़ा फैन है और मौसी को अच्छी दादी बोलता है। जब वह 4-5 साल का था तो हमेशा कहा करता था कि मैं अच्छी दादी से ही शादी करूंगा। एक बार कभी फरवरी के महीने में ही वह अपने मम्मी पापा के साथ शॉपिंग मॉल घूमने गया था।रंग बिरंगे सुंदर सजे धजेे दुकानों को देखकर उसने पूूूछा क्या हो रहा है ? तब उसकी मम्मी ने बताया कि वैलेंटाइन डे आनेे वाला है न इसलिए सारी दुकानेंं सजी हुई हैं। "क्यों मनाते हैं ये डे मम्मी ?" पुलक का अगला सवाल ! तब भाभी जी ने बताया कि हम जिसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं ,उसे 14 फरवरी यानि वैलेंटाइन डे के दिन उपहार देते हैं। अब नन्हा पुुुलक मचल उठा कि अच्छी दादी के लिए गिफ्ट खरीदना हैै। फटाफट गिफ्ट खरीदा गया। 13 तारीख होगी शायद , किसी तरह बेचैनी में पुुलक ने रात बिताई और 14 की सुबह 5-6 साल का छोटा बालक मौसी के पास हाजिर हो गया अपने वैैैैलेटाइन गिफ्ट के साथ। येे घटना करीब दस -बारह साल पहले की है और वैलेंटाइन डे मनाने का दादी पोते का सिलसिला आज तक बदस्तूर जारी है।
मेरी मौसी भी इसकी खास तैयारी करके रखतीं हैं। पुलक के लिए केक , स्पेशल गिफ्ट्स ,चॉकलेट और भी न जाने कितनी सारी चीजें उसके पसंद की। पिछले साल मौसा मौसी फरवरी में बच्चों के पास गए हुए थे भारत से बाहर। लेकिन मौसी ने बिल्कुल ताकीद से उससे फोन पर बात की ,कार्ड भी भेजा। वापस आने पर लाड़ले के लिए उपहार तो आया ही था।
पुलक जब थोड़ा बड़ा हुआ , 9वीं कक्षा में होगा तब की बात है। दोस्तों से उसने वैलेंटाइन डे का कुछ और ही अर्थ सुना ,तब उसने थोड़ी झिझक के साथ कहा अब वो अच्छी दादी के साथ ये खास दिन नहीं मनाएगा। तब भाभीजी ने उसे प्यार से समझाया कि प्यार करने वालों का ये त्यौहार सिर्फ़ गर्लफ्रैंड और ब्वॉयफ्रेंड तक ही सीमित नहीं है हम जिससे भी सच्चा प्यार करते हैं उसके साथ यह शुभ दिन मनाते हैं चाहे वो मम्मी पापा हों , भाई बहन हों या ग्रैंड पेरेंट्स ही क्यों न हो।तब जाकर वह फिर राज़ी हुआ। और इस 14के लिए तो मौसी और पुलक दोनों खासे उत्साहित हैं क्योंकि पिछले साल उन्होंने ये दिन साथ साथ नहीं मनाया था। पुलक के लिए तो ये दिन बहुत मायने रखता है क्योंकि उसकी अच्छी दादी जो हमेशा उसका विशेष ध्यान रखतीं हैं आज के दिन तो बिल्कुल अलग ट्रीटमेंट देतीं हैं आपने लाड़ले चहेते पोते को क्योंकि वैलेंटाइन डे की तो बात ही कुछ और है।
दूसरी तरफ मौसा मौसी भी कम बेताब नहीं रहते हैं उससे मिलने के लिए। उसका आना बसंती बयार की तरह है। उसका आना ,तरह तरह की बातें करना दोनों को प्रफुल्लित कर देता है। इस उम्र में इन बुजुर्गों को और क्या चाहिए !!
जीवन को एक सेलिब्रेशन की तरह जीया जाए तो हमेशा ताजगी और स्फूर्ति बनी रहती है तो क्यों न हम भी प्यार का ये खास दिन , खास समय अपने प्रियजनों के साथ मनाए !
हैप्पी वैलेंटाइन डे !!
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धन्यवाद... तिन्नी श्रीवास्तव ।।
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