दुनिया एक रंगमंच हैं,
यहाँ कौन अपना कौन पराया हैं।
एक दिन तो हम सभी को,
अपना सबकुछ यही छोड़ जाना हैं।
क्यों लड़ते-झगड़ते हो,
एक बीघा ज़मीन के लिए?
कफ़न तक नहीं मिलेगा,
अपने साथ ले जाने के लिए।
लोग होते हैं भिन्न-भिन्न,
जबकि आते हैं सब एक वतन से।
कोई सबको परेशान कर देता हैं ,
तो कोई जाना जाता है अपने नाम से।
जाति- धर्म ऊँच-नीच,
ये सब तो हम इंसान बनाते हैं।
ऊपर से तो हम बस,
खाली हाथ आते हैं और खाली हाथ जाते हैं।
Comments
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वाह
Sukriyaaaa
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