अनोखा रिश्ता

A poem on Rakshabandhan

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Sanoj Kumar
Sanoj Kumar 21 Aug, 2021 | 0 mins read
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रिश्ता है ये सबसे अनोखा,

इसमें ना मिलता किसी को धोखा।

हां, भले ही एक दूसरे को डांट सुनाने का,

नहीं छोड़ते एक भी मौका।


राखी, सिर्फ धागा नहीं,

एक अटूट बंधन है विश्वास का।

तकरार भले ही कितने भी आ जाए,

नहीं बिखरता इनका रिश्ता प्यार का।


चॉकलेट, मिठाई तो बस एक बहाना है,

इन्हें तो बस एक दूसरे को चिढाना है।

चाहे आपस में कितने भी लड़ाई कर ले,

खाना इन्हें हमेशा साथ खाना है।


घर में एक दूसरे की गलती गिनवाते हैं,

वहीं बाहर एक दूसरे का बचाव करते हैं।

किसी एक से कोई उलझ जाए तो,

दोनो मिलकर उसका मुंह तोड़ जवाब देते हैं।


सिर्फ खून का यह रिश्ता नहीं,

यह रिश्ता मुंह बोला भी होता है।

जिन्हें मान ले भाई या बहन तो,

उनके लिए हर पल हाजिर होता है।

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