उस रास्ते पर हमेशा जिसे निहारते हुए जाता,
आज वो ऑटो में मेरे सामने आकर बैठ गई।
बात करने का हिम्मत तो नहीं कर पाया,
पर उसके साथ मुझे एक बच्ची दिख गई।
शुरुआत मैंने तो कर दी प्यारी बच्ची के साथ,
इसी बहाने हो गयी उनसे भी थोड़ी-बहुत बात।
धीरे धीरे उनके बारे में मुझे मालूम होने लगा,
उनके शरमाने के अंदाज़ से मेरा दिल पिघलने लगा,
नज़रे चुरा कर मैं उन्हे निहारने लगा,
उनकी अदायें मेरे मन को भाने लगा।
वो तो ज़्यादा मुझ पर दिलचस्पी नहीं दिखाई,
पर मैं उन्हे अपने ख्वाबों में देखने लगा।
ख्वाब टूटा जब एक दोस्त का कॉल आ गया,
फिर मैं लेखनी के बातो में व्यस्त हो गया।
कॉल रखते ही उसने पूछा, क्या तुम लेखक हो?
इस तरह मेरे दोस्त का कॉल मेरा काम आ गया।
बात बच्ची से अब लेखनी पर आ गयी,
मैंने भी अपने लेखनी के बारे में हर बात बता दी,
जब पता चला, वो भी लेखन को पसंद करती है,
हमारी बातें एक नये मोड़ पर चली गयी।
पहले तो सिर्फ मैं ही उत्साहित था पर अब वो भी
मुझसे बात करने को उत्सुक हो गई।
जब मैंने अपना सोशल साइट दिखाया
तब तो वो पूरी तरह मेरी कायल हो गई।
अब तो बात बहुत आगे तक बढ़ गया,
उसका दिल मेरा और मेरा दिल उसका हो गया।
लगा नहीं था मुझे कोई इतनी जल्दी पसंद करेगी,
मेरे लेखन के साथ मेरा दोस्त भी काम आ गया।
अब बारी आई मेरी उससे बिछड़ने की,
जब मेरा घर उसके मंजिल से पहले आ गया था,
पर अब कोई ग़म ना था मुझे क्योंकि
अपने नंबर के साथ हमने दिल भी साझा कर लिया था।
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