हर रोज के भांति आज भी रोहन कॉलेज की ओर निकल पड़ा। अपने आप में खोया रहने वाला ये लड़का यूं हीं हंसते गुनगुनाते चला जा रहा था। तभी इसकी नज़र सड़क के उसपार खड़ी एक बूढ़ी औरत पर पड़ी, जिसे देख यह अचंभित रह गया। आप सोच रहे होंगे कि रोहन जैसा जवान लड़के की नजर तो जवान खूबसूरत लड़की पर अटकनी चाहिए ना कि बूढ़ी औरत पर। तो मैं आपको ये बता दूं कि आप गलत नहीं हो। दरअसल रोहन, जरूरतमंदों को मदद करना चाहता हैं और कोई इसे मदद करने बोले तो ये जरूर करता है। इसके नज़र में ये आम बात थी। उस दिन इसका यह सोच पर इसे पुनर्विचार करने पर कोई मजबुर कर दिया।
ना ना आप गलत जा रहे हो, इसकी उलझन बढ़ाने वाली वो बूढ़ी औरत नहीं बल्कि एक युवती थी। जो उस बूढ़ी औरत के बिना मदद मांगे ही उसे खुद से पूछ कर सड़क पार करवा रही थी। उसे देख यह बहुत अच्छा महसूस हुआ। औरो के तरह लड़की के रंग रूप को देख कर नहीं बल्कि उसकी यह बिना किसी के मदद मांगे ही मदद करने वाली गुण पर। इसे ऐसा लगा कि मानों यह लड़की के जैसा और कोई हो ही ना। कुछ देर उसके ख़यालो में खोए रहने के बाद देखता है कि वो लड़की आगे बढ़ गई और इससे दूर चले गई।
वह पूरा दिन उसके बारे में ही सोचता रहा, सिर्फ उसके यह गुण देखकर ही उसे अपने ख्यालों में बहुत अच्छा व्यक्ति मानने लगा। रोहन के बदले हरकतों के कारण जब इसके दोस्तो ने पूछा कौन है वो कैसी दिखती है, तब जाकर इसे एहसास हुआ कि यह तो ठीक से उसे देखा भी नहीं है, सिर्फ उसके मदद करने वाले रूप को ही दिल में बसा लिया है। दोस्तों के सामने अपना मज़ाक ना बन जाए इसलिए वो ख़ुद अपने मन से कुछ कुछ बता दिया। पर दोस्तो के इस बात ने रोहन की दिमाग की बत्ती जला दी। सबने इसे उस लड़की के प्रेम प्रसंग से चिढ़ाना भी प्रारंभ कर दिया पर ये बहुत असमंजस में पड़ गया कि आज दिन भर मेरे ख्यालों में जो समाई थी मैं उसे ठीक से देखा भी नहीं, उसके रूप के बारे में मुझे कुछ पता भी नहीं है। भला ऐसे कैसे प्यार हो सकता है। यही सब बात सोच कर सबकुछ नजरअंदाज कर के सो गया।
उसके अगले ही दिन उसे फिर देखने के आशा से वह उसी वक़्त बन ठन कर निकल गया। अपने दिमाग पर यह रख कर गया था कि आज कुछ भी ही जाए उसे देखूंगा की वह कैसी हैं, उसका रंग रूप कैसा है। उससे मिलने की चाह में उसका राह देखने लगा। काफी देर प्रतीक्षा करने के बाद आखिरकार वो आ गई। जैसे ही उसे देखा तो पूरा तजोताजा हो गया मानो अभी ही आया हो। आज उसपर से नजरें ही नहीं हटाया। हटता भी कैसे गुण के साथ साथ उसका रूप भी सरह्न्य था। दिखने में सावली, पतली दुबली और चेहरे में बहुत सुखद मुस्कान उसके रूप को बहुत मनमोहक बना देता था। वैसे में बेचारे रोहन का अपने दिल पर कैसे वश रहेगा। उसे तब तक देखते रहा जब तक वह उसके सामने ना आ गई। रोहन बहुत घबरा गया, डर के कारण सोचने लगा कि कहीं इसे बूरा तो नहीं लग गया, कहीं यह चिल्ला तो नहीं देगी। पर इसके सोच के विपरित वह लड़की इसे बोलती है
लड़की - ओय
रोहन - हां (घबराता हुआ)
लड़की - तुम वहीं हो ना जो रोजाना यहां से सिटी बस से यह कॉलेज जाते हो।
रोहन - हां, क्यों क्या हुआ (थोड़ा ठंडक मिला)
लड़की - नहीं कुछ, मै तुम्हे कई बार देखी हूं बस में। मैं भी इसी बस से वह कॉलेज जाती हूं जो तुम्हारे कॉलेज से कुछ आगे है।
रोहन - अच्छा।
लड़की - यदि तुम लेट नहीं हो रहे हो तो एक बात बोलूं।
रोहन - हां बोलो
लड़की - तुम बहुत अच्छे इंसान हो, अपना अच्छाई यूहीं बरकरार रखना।
रोहन - मतलब (अचंभित होकर)
लड़की - मैं तुम्हें बहुत बार देखी हूं कि तुम कैसी भी स्थिति में क्यों ना हो कोई तुम्हे अपना सीट देने बोलता है तो तुम तुरंत उठ खड़े हो जाते हो, और अक्सर इसी कारणों के कारण तुम हमेशा खरे ही सफ़र करते हो।
रोहन को बहुत अच्छा लगा ये सब बातें सुन कर, वो जिस लड़की को जिस गुण के कारण पसंद करता था आज वो लड़की रोहन के उसी गुण के कारण खुद बात करने आई। ऐसे ही बात करते करते कुछ समय बीत गया और लड़की 'मुझे देर हो रहा है बोल कर चल गई'। यह लड़का इसे और भी चाहने लगा और मन ही मन इसका ख्वाब देखने लगा। अगले दिन फिर वही बस में कॉलेज के लिए चढ़ा और अपनी नजरें इधर उधर उसकी खोज में दौराने लगा। तभी इसकी नजर उस लड़की पर पड़ी जो कि सबसे आगे औरतों के जगह पर बैठी थी। आज रोहन पहली बार उसे बस पर देखा, आगे वाली सीट पर बैठने के कारण उसे पूरी तरह देख नहीं पाया, और उसे देखने के लिए उसकी और ही देखते रहा। कुछ देर बाद वो लड़की भी इसकी तलाश में पीछे धुंडने लगी, तभी इन दोनों की नजरें टकराई और दोनों ही एक दूसरे के आंखो में खो गए। इन दोनों कि प्यार भरी नज़रों से बात हो ही रही थी कि उस लड़की को एक औरत बोलती है - " बेटा थोड़ा तुम बैठने दे सकती हो, मेरा घुटना बहुत दुख रहा है"। यह सुन उस लड़की को तो मानो वजह मिल गई उस लड़के के पास जाने की। एक पल भी देर किए बिना वो तुरंत उठ गई और पीछे रोहन के पास जा कर खड़ी हो गई। इस तरह दोनो अब लगभग हर रोज़ इसी तरह साथ सफ़र करने लगे। यदि कभी भीड़ कम हो तो सीट मिलता नहीं तो अक्सर दोनो खरे ही जाते थे। धीरे धीरे दोनों में नजदीकी बढ़ने लगी। प्यार का फूल दोनों के दिल में खिलने लगा, पर दोनों इजहार करने से कतरा रहे थे। कभी कभी तो कॉलेज नहीं जा के दोनों इधर उधर घूमने भी चले जाते थे। ऐसे ही कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन बरसात के मौसम के कारण बस लगभग खाली था। दोनों आराम से सीट में बैठे थे, और हर रोज के भाती अपनी बातें एक दूसरे से साझा कर रहे थे। जैसा कि आप जानते ही है, लड़की हमेशा खिड़की के तरफ वाली सीट ही लेती है और रोहन उसके बगल में , एक दूसरे के तरफ हो कर बातें कर रहा था। तभी अचानक बस की ब्रेक लगने से रोहन का होंठ उसके होंठ से चिपक गया और अनजाने में ही सही किस हो गया। दोनों बहुत जल्दी दूर हुए और एक दूसरे से नजरें नहीं मिला पाए। तभी रोहन का कॉलेज आ गया और उसे जाना पड़ गया।
रोहन को तो अच्छा लगा, पर वो बहुत डर गया और बहुत शर्मिंदा महसूस करने लगा। किसी को पहली बार किस किया है वो भी ऐसा। पता नहीं इसे कैसा लगा होगा। यही सब बातें सोचते सोचते पूरा दिन गुज़ार दिया। दूसरे ही दिन उससे माफी मांगने और अपनी दिल की बात बोलने के लिए तैयार हो गया। पर आज वो नहीं दिखी, और उसके नहीं दिखने के कारण यह और भी ज़्यादा परेशान हो गया। अपने आप की गलती मान कर बहुत दुखी रहने लगा। अपने प्यार का इजहार करने का सोच कर निकला था पर उसके ना मिलने से कल की बातें में ही फिर से उलझ गया। ऐसे ही कुछ दिनों तक उस लड़की के नहीं आने से रोहन बहुत परेशान रहने लगा। यह तो सोचने लगा कि उस किस के वजह से ही वो इससे दूर चले गई। कुछ दिनों के इंतजार के बाद इससे रहा नहीं गया और इसके दोस्तों ने इसकी हालत देख कर उस लड़की के कॉलेज जा कर पता लगाया तो कुछ ऐसा पता चला कि मानों रोहन के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। उसके दोस्तों ने बताया, उस लड़की का दुर्घटना हो गया है, और वो एक अस्पताल में भर्ती है। यह सुनते ही पागलों के तरह जल्दी से अस्पताल की ओर चल पड़ा।
रास्ते में अपने एक बहुत ही करीबी दोस्त की बातें मान कर अपने आप को संभालते हुए, अपनी मन में चल रहे अशुभ विचारो को शांत किया और अस्पताल पहुंच गया। माथे के चारो तरफ सादे रंग का पट्टी लपेटे हुए, लोहे के सहारे अपनी पैर रखे वह बिस्तर पर लेटी थी। रोहन के पहुंचने से उसकी आंखे खुल गई और दोनों एक दूसरे को देखते ही रो पड़े। बहुत पूछने के बाद वो बताई की -
उसके अगले ही दिन मुझे किसी कारण हॉस्टल से जल्दी निकालना पड़ा और बस के तुम्हारे चौक से आगे बढ़ने के बाद मुझे याद आया कि में आज जल्दी आ गई और तुमको तो थोड़ा देरी होगा। यही सोच में बस से उतरने लगी। मेरे देरी से बोलने के कारण बस तो खुल गया था। मैंने सोचा बहुत धीरे ही चल रहा है इतने में मै तो आराम से उतर सकती हूं, और मैं उतरने लगी। चलती बस से उतरने के कारण लड़खड़ा गई और मैं वहीं गिर गई। गिरते ही मेरा सिर बाइक के साइलंसर से टकरा गया और मैं बेहोश हो गई। कुछ दिनों बाद मुझे होश आया तो पता चला मेरा एक पैर टूट गया और मेरी दायां चेहरा जल गया है।
यह सुन रोहन को बहुत बुरा लगने लगा। यह ना जाने क्या क्या सोच रहा था और यह लड़की इससे मिलने के कारण अपना ऐक्सिडेंट करवा ली। रोहन उसका हाथ थाम उसी वक़्त उसको अपना प्यार का इजहार कर दिया। यह सुन वो लड़की बहुत ही चौंक गई और बोली-
जल्दी वाजी में कोई फैसला मत करो रोहन, पहले मेरा चेहरा तो देख लो। डॉक्टर बोला है कि एक तरफ पूरा गाल जल गया है और हो सकता है इसका दाग ज़िन्दगी भर लगा रहे। तुम जिस लड़की को चाहते थे अब वो नहीं रही। ऐसा बोल वो लड़की मुंह घुमा कर रोने लगी।
रोहन ने उसके माथे को चूमते हुए कहा -
पता है में तुम्हे पहली बार कब देखा था। जिस दिन तुम मुझसे बात करने आई थी, उसके ठीक पहले दिन। तुम किसी बूढ़ी औरत को सड़क पार करवा रही थी। तभी से मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं। यही सब बातें रोहन ने उसे बताया और ये भी बताया कि कैसे उसके दोस्तों के पूछने पर दूसरे दिन उसके रंग रूप को देखने गया था।
यह सुन लड़की कि आंखो से आंसू बहने लगे और दोनो एक दूसरे के गले लग गए।
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