Sawli zulfe
वो सादगी में भी क़हर ढाती हैं । सर्द की पहली धूप सी नज़र आती हैं । सांवली जुल्फ़े । हया से मिलके । जो वो खुल के मुसकुराती हैं । जिस से भी मिलती हैं , जीने का मकसद दे जाती हैं । ऐसी मिसाल हैं वो , जो आजकल कम पाई जाती हैं ।
Originally published in
Shah طالب अहमद
24 Jul, 2019 | 0 mins read
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