कपड़े छोटे नहीं, सोच छोटी होती है
बलात्कार के नाम पे सबकी यही बोली होती हैं
पर मेरे कुछ सवाल हैं
जिसमे शामिल हम तुम और सारा समाज हैं
क्यों तुम्हारे सच्चे दोस्त घर के बाहर वाले होते हैं
क्यों पहले की तरह हम सहपरिवार नही रहते हैं
क्यों बच्चे कम उमर में ज्यादा आज़ाद होते हैं
क्यों नहीं पढ़ते वो धर्मिक और संस्कारो की किताबें
क्यों मोबाइल और इंटरनेट उनके लिए अनलिमिटेड मौजूद होते
क्यों वो बचपन से देर रात में सोते हैं
क्यों वो अपनी तकलीफ गैरों के संग रोते हैं
क्यों हम नशा करके इतना ख़ुश होते हैं
गंदे गाने
गन्दी फ़िल्मे
गंदे सीरियल
ग़लत दोस्ती
आख़िर क्यों बच्चों ये सब हमारे आँखों के सामने पिरोते हैं।
आख़िर क्यों हम ये सब गलतियां चुप चाप सह लेते हैं ।बचपन से ही क्यों नहीं
आख़िर क्यों नहीं ।
उनकी मानसिकता को झिंझोर देते हैं
सिर्फ Dp बदलने और Candle मार्च से इंसाफ नहीं होता हैं
कभी जा के देखो
निर्भया ,आसिफा,
दिव्या ,संस्कृति
ट्विंकल और प्रियंका के घर उनका परिवार कैसे आजभी सुकून से न सोता हैं।
खुद समझो और अपनों से प्यार करो
अगर परिवार हो तो वैसा ही व्याहार करो।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wah ekdam sahi baat kahi aapne
Bahut shukriya bhai
Waah yr bhut achi line h................ To good
Thank you soo much dear ... Means alot to me ...
Great!! Well said Talib.
OMG , Thanks a ton .. means a lot to me ....
Its great talib bhaiya
Thanks a ton dear yash..
We have to change the prospective and neither the women nor the society can be blammed... Truely beautifully written 👏👏👏
Thanks alot priyanshu well said .... That's why I said everyone is imp
Talib bhai apki likhawat apke or apki soch jitni hi khoobsurat hai
Wow well written👏👏
Thanks a ton satya bro ... It means alot ... I am very glad ...
Thanks a lot pragati mam ... Your valuable appreciation
Lajwab bhai jaan............True line 👏👏👏
Bahut shukriya raja ....
Well penned. Khud se badlav ki shuruaat.
बहुत अच्छा लिखा घर से शुरुआत करनी होगी
Thank you very much sonia mam & varsha mam ...
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