इल्ज़ाम के दौर में एहतराम किसे पसंद आता है।
मज़ाक की हद रखें , कम अग़र सब्र का माद्दा है।
गिरेबान में खुद के कहाँ किसी ने झांका है।
गलतियों की फेहरिस्त में खुदको सबने कम आंका है।
अपनी और अपनों की गलती में,होता अपना ही घाटा है।
ऐसे हालातों में रिश्ता तो रहता है ,मगर भरोसा टूट जाता है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
True Talk
Thank you so much dear
बहुत खूब
Nice lines👌👌
वाह
Thank you everyone
Nice
Thanks aton
Awesome,गलतियों के फेहरिस्त में सबने खुद को कम आँका है
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