सब शामिल है
सच कहने वाले सबकी निग़ाह में ज़ाहिल है। तुम्हारे ऐब छुपाने मेरे अपने भी शामिल है। फ़रेब करने वालों सारे मेरी नज़र में काफ़िर है। मुनाफिकों की भीड़ में अब कहाँ कोई आमिर है। दावत दी है हमने वबा को ये सबमे ज़ाहिर है। आइनों की क्या ज़रूरत अब कहा बचा कोई ताहिर है।

Paperwiff

by talib

25 Jul, 2020

Modernization, life style

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