Shah طالب अहमद
28 Dec, 2020
वक़्त
वो वक़्त कुछ और था।
ये वक़्त कुछ और है।
तब तक तुम मेरी अमानत थी।
अब तुम्हारा हक़दार कोई और है।
सब पाकर भी तेरी महफ़िलों में सन्नाटा है।
सब खो कर भी मेरी तन्हाई में शोर है।
वो वक़्त।।
Paperwiff
by talib
28 Dec, 2020
Time , Happy , sad.
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