Life's Countdown

Life count down poetry

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Shah  طالب  अहमद
Shah طالب अहमद 08 Dec, 2019 | 0 mins read

ओ मेरी ग़ज़ल तुम से दोबारा गुफ़्तगू कब हो पायेगी ।

कब तक ।

आख़िर कब तक मेरी सिहाई दूसरों की दास्ताने लिखने में बर्बाद जायेगी ।

इतनी भी दोस्ती नही हैं ज़िन्दगी से ।।

न जाने

कब तक ।

कब तक साथ निभायेगी।

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Shah طالب अहमद

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