Jasbaat ki Ladai ( baimaan_ Mohabbat)

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Shah  طالب  अहमद
Shah طالب अहमद 03 Dec, 2019 | 0 mins read

मुझे आज भी याद हैं ।

उसने यह कह कर बात ख़त्म की थी ।


अपनों से लड़ाई होने पर हम रिश्ता तो नहीं तोड़ सकते, पर साथ छोड़ सकते है।

थोड़ा वक़्त लगा समझने में उसने बात ही नहीं

जस्बात भी ख़त्म कर दिये थे।

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Shah طالب अहमद

talib

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