ग़ुलाब के निशां को पन्नों में संभाल रखा हैं ।
तेरी ग़ैर मौजूदगी में भी तेरे होने का अहसास पाल रखा हैं ।
ग़ुलाब पसँद हैं उन्हें तो वही कारोबार कर लिया।
वो लौट आये तो जवाब दे सके कि देख तेरी पसंद का पूरा ख़याल रखा हैं ।
Happy rose day poetry
ग़ुलाब के निशां को पन्नों में संभाल रखा हैं ।
तेरी ग़ैर मौजूदगी में भी तेरे होने का अहसास पाल रखा हैं ।
ग़ुलाब पसँद हैं उन्हें तो वही कारोबार कर लिया।
वो लौट आये तो जवाब दे सके कि देख तेरी पसंद का पूरा ख़याल रखा हैं ।
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