7_feb_Roseday

Happy rose day poetry

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Shah  طالب  अहमद
Shah طالب अहमद 08 Feb, 2020 | 0 mins read

ग़ुलाब के निशां को पन्नों में संभाल रखा हैं ।

तेरी ग़ैर मौजूदगी में भी तेरे होने का अहसास पाल रखा हैं ।

ग़ुलाब पसँद हैं उन्हें तो वही कारोबार कर लिया।

वो लौट आये तो जवाब दे सके कि देख तेरी पसंद का पूरा ख़याल रखा हैं ।

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Shah طالب अहमद

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