सब याद हैं मुझे ,
वो पिता के थप्पड़ मारना और भगाना ।
फिर माँ का बीच मे आना और गले लगाना ।
बैठ के पानी पीना और अपनी बाग़ के पास वाली बाग़ से आम चुराना ।
कभी स्कूल गोल तो कभी ट्यूशन फीस से टॉफी और गोले खाना ।
वो फूफी की अलमीरा से दवा चुराना ।
वो बड़ी अम्मा का हाथ का मलीदा खाना ।
दरवाज़े पे टकटकी लगाए बाबा का इंतज़ार करना ।
फिर मिलने वाले 2 रुपयों से मिट्टी के खिलौने और गुब्बारे लाना ।
वो बड़े भाइयों का प्यार , गांव वालों से मिलने वाला ढेर सारा दुलार ।
याद है अभीभी मुझे को सुबह की रंगोली दोपहर का शक्तिमान और शाम का चित्रहार ।
वो महाभारत वही पुरानी रामायण , इतवार को होंने वाली फिल्मो के प्रसारण।
सब कुछ याद हैं मुझे।।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.