12_feb_Hug day

Hug day poetry

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Shah  طالب  अहमद
Shah طالب अहमद 08 Feb, 2020 | 1 min read

Hugday

उनकी आमद पे एक कसक हुई ,ऐसा बरसों बाद हुआ ।

वो क़रीब से गुज़री तो अलाहिदा सा जस्बात हुआ।

ग़फ़लत में गुज़र रही थी जो ज़िन्दगी।

उनके लब पे सुनके अपना नाम ज़िंदा होने का एहसास हुआ ।

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Shah طالب अहमद

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