हाल या खयाल ?

Haal ya khayal poetry

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Shah  طالب  अहमद
Shah طالب अहमद 08 Dec, 2019 | 0 mins read

हाल या खयाल ?

ज़िम्मेदारियों की वज़ह से ना जाने कितने अरमानों को सूली पे चढ़ाया हैं ।

मेने अपने हाथों से ।

अपने हाथों से अपने ख़्वाबों को दफनाया हैं ।

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Shah طالب अहमद

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