विश्वास

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स्वाति शुक्ला
स्वाति शुक्ला 27 Jun, 2020 | 0 mins read

जब सबका साथ छूटता है, मन मेरा घबराता है

तब तू आता है पास मेरे, मुझको राह दिखाता है

घिरी हुयी हूँ अँधियारे में, कोई नजर न आता है

कोई नही अब पास मेरे, एक तू ही साथ निभाता है

ईश्वर हो या अल्लाह हो, वाहेगुरू या जीसस हो

हर प्राणी के भीतर बस एक नाम ही तेरा हो

तू प्राणी के मन में जाकर, उसको राह दिखाता है

सबका साथ छूटने पर एक तू ही साथ निभाता है

स्वाति




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