जीवन शादीशुदा और तलाकशुदा के बीच का

शादीशुदा और तलाकशुदा जीवन के बीच भंवर में फंसी लडकी की कहानी

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स्वाति शुक्ला
स्वाति शुक्ला 27 Jun, 2020 | 1 min read

" स्नेहा जा बेटा किराने की दुकान से थोड़ा सामान ले आ , तेरे पापा को आने में अभी समय है नहीं तो उन्हें ही बोल देती " सीमा जी ने अपनी बेटी स्नेहा से कहा।

" माँ आप विनी को भेज दो, मेरा बाहर जाने का बिल्कुल मन नहीं है " स्नेहा ने कहा ।

" विनी भी जायेगी तेरे साथ , देख बेटा सारा दिन घर में घुसी रहेगी तो बीमार पड़ जायेगी। जो हुआ उसमें तेरा दोष तो नहीं था ना , फिर तू क्यों अपना मुँह छिपाकर बैठी रहती है " सीमा जी ने कहा ।

" लेकिन माँ मेरा सच में मन नहीं है, बाहर जाओ तो सब बहुत अजीब नजरों से देखते हैं , ऐसा लगता कि मैंने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो " स्नेहा ने कहा ।

" लोगों का तो काम ही यही है दीदी और फिर पापा ने क्या सिखाया था कि अगर हम सही हैं तो सब सही है । आप अगर ऐसे घर पर रहोगी तो कौन सा किसी का मुँह बन्द हो जायेगा । आप चलो मेरे साथ, आपको अच्छा लगेगा।" विनी ने कहा ।

" लेकिन ....." स्नेहा कुछ कहती माँ ने उसे जबरजस्ती थैला देकर बाहर जाने को कहा ।

" विनी अपनी दीदी को उसकी पसन्द की आइसक्रीम भी खिला देना " सीमा जी ने कहा और दरवाजा बन्द कर लिया और चुपचाप खिड़की से जाती हुयी स्नेहा को देखने लगीं और अतीत में खो गयीं ।

सीमा जी और उनके पति राजीव जी की दो बेटियां थी , स्नेहा और विनी, जहां विनी तेज तर्रार थी वहीं स्नेहा सीधी और सरल थी । हर कोई स्नेहा की तारीफ करते हुए नहीं थकता था , सबका मानना था कि बहुत किस्मत वाला होगा जिसकी कुंडली स्नेहा से जुड़ी होगी लेकिन हकीकत को कुछ और ही मंजूर था। स्नेहा की शादी उन्होंने एक बहुत अच्छे परिवार में की थी, लडके का नाम रोहित था। रोहित देखने में जितना सुन्दर था बोलचाल में उतना ही विनम्र, जो देखता यही कहता कि राम सिया की जोड़ी है उनकी। स्नेहा जब ससुराल गयी तो सीमा जी के घर की तो मानों रौनक ही चली गयी थी लेकिन मन खुश था कि चलो बेटी को अच्छा घरबार मिला है और वो सुखी है , लेकिन यह भी मन का वहम था, जो रोहित दिखने में एक सभ्य लड़का था वो असलियत में एक मानसिक रोगी था जिसके विषय में उसके घरवालों ने छिपा कर रखा था। रोहित बाकी समय तो सही रहता लेकिन जब उसे गुस्सा आता तो वह काबू के बाहर हो जाता। स्नेहा ने उसका यह रूप शादी के चौथे दिन ही देख लिया था लेकिन ससुराल वालों ने समझाया कि वो सब ठीक कर देंगे तो वह चुप हो गयी और शायद यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी। पहले सभी घरवाले रोहित का गुस्सा झेलते थे लेकिन शादी के बाद वो सिर्फ स्नेहा को झेलना पड़ता । रोहित को हर छोटी बात पर गुस्सा आता था, शादी के महीने भर भी न हो पाये कि रोहित स्नेहा पर हाथ भी उठाने लगा। स्नेहा ने पहले सोचा कि अपने माता-पिता को बता दे लेकिन समाज क्या कहेगा , यह सोचकर चुप रही। वो बहुत कोशिश करती कि रोहित को गुस्सा न आये लेकिन कभी न कभी कुछ ऐसा हो ही जाता था और फिर रोहित स्नेहा की हालत खराब कर देता।

ससुराल वाले पहले तो स्नेहा को बचाने आते भी थे लेकिन बाद में कम करते करते आना भी बन्द कर दिया यह कहकर कि पति-पत्नी के बीच का मामला है। स्नेहा चीखती रहती लेकिन कोई भी नहीं सुनता । घर के बाहर पड़ोस वालों को उसकी चीखे सुनाई पड़ती लेकिन घर वाले कान में तेल डालकर बैठे रहते और तो और उस पर ही दोष लगाते थे कि वही कुछ गलत करती है तभी रोहित गुस्सा करता है। छह महीने में स्नेहा की सारी खूबसूरती ढल गयी और वो बीमार सी रहने लगी। सीमा जी और राजीव जी ने कई बार पूछा लेकिन स्नेहा चुप रहती क्योंकि उसे लग रहा था कि उसके माता-पिता परेशान हो जायेंगे । शादी के सात महीने हो पाये थे कि एक दिन फिर से रोहित को गुस्सा आ गया और उसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी लेकिन उसदिन स्नेहा की चीखें खाली नहीं गयीं, उसके पड़ोस में एक मुहबोली ननद ने उसके घर फोन कर दिया कि भाभी को जिन्दा देखना चाहते हो तो आ जाओ , फिर क्या था राजीव जी और सीमा जी भागते हुये आये और बेटी की हालत देखकर कांप उठे। स्नेहा के ससुराल वाले सकपका गये और उन्होंने बात पर पर्दा डालने की बहुत कोशिश की लेकिन असफल रहे। राजीव जी ने रोहित के खिलाफ थाने में रिपोर्ट की और स्नेहा को घर ले आये। रोहित तीन महीने तक जेल में रहा फिर बाहर आ गया और स्नेहा से अपने किये की माफी भी मांगी लेकिन सीमा जी ने साफ मना कर दिया और सीधे से तलाक मांग लिया जिसके लिये रोहित नहीं तैयार था और कोर्ट में मुकदमा चल रहा था ।

" दीदी सब्जी क्या दे दूं" सब्जी वाले ने खिड़की से झांक रही सीमा को आवाज दी तो वो ख्यालों से बाहर आयी और सब्जी लेने बाहर निकल आयी। बाहर कुछ औरतें बैठी थी और सीमा जी को देखते ही आपस में खुसुर फुसुर करने लगीं । सीमा जी चुपचाप अन्दर आ गयी और मन में सोचने लगीं कि मुझसे यह सब नहीं झेला जा रहा है तो बेचारी स्नेहा कैसे झेलती होगी।

स्नेहा अपनी बहन के साथ जैसे ही किराने की दुकान पहुंची वहाँ पर मुहल्ले की रेखा आंटी पहले से खड़ी थीं।

" अरे स्नेहा बेटा कैसी है ? " रेखा आंटी ने कहा ।

" ठीक हूँ आन्टी? माँ ने कुछ सामान के लिये कहा था तो वही लेने आयी थी " स्नेहा ने जवाब दिया ।

" सच में तेरे साथ बहुत बुरा हुआ, पता नहीं कैसे कैसे परिवार होते हैं? " आन्टी ने कहा तो स्नेहा ने सर झुका लिया ।

" वैसे सुना है कि तेरे ससुराल वाले तुझे वापस लेने के लिए आये थे , यह सच है क्या ? आन्टी ने कहा तो स्नेहा ने सहमति में सर हिला दिया।

" फिर क्यों नहीं गयीं बेटा तू? देख स्नेहा शादी के बाद लडक़ी की इज्जत उसके ससुराल से ही होती है और गलती किससे नहीं होती है , मेरी मान तो बेटा अपने पति को माफ कर दे । यह तेरी पूरी जिंदगी का सवाल है और फिर पीछे तेरी बहन भी बैठी है जरा उसके भविष्य का भी सोच " रेखा आन्टी ने कहा तो स्नेहा की आँखो में आंसू आ गये ।

" आन्टी पापा ने फैसला कर लिया है कि दीदी वहाँ नहीं जायेगी और क्या गारंटी है कि जो पहले हुआ वो दुबारा नहीं होगा और अब अगर आपकी बात पूरी हो गयी हो तो हम जो करने आये हैं वो कर लें ? " विनी ने रेखा आन्टी से कहा तो वो मुँह बनाकर चली गयीं ।

" दीदी तुम कब तक ऐसे ही आंसू बहाती रहोगी, ऐसे लोगों को इन्हीं की भाषा में जवाब देना पडता है " विनी ने कहा ।

" मुझे नहीं समझ आता कि मैं क्या बोलूं और फिर वो अपनी जगह सही हैं । अच्छा अब तुम जाकर सामान ले आओ मैं यहीं खडी हूँ " स्नेहा ने कहा तो विनी दुकान में अन्दर चली गयी और तभी एक दूसरी विमला वहां आ गयीं ।

" अरे स्नेहा बिटिया! कैसी हो? मैं तुमसे मिलने आना ही चाहती थी , अच्छा हुआ जो यहीं मिल गयी " विमला आन्टी ने कहा और स्नेहा को बड़े ध्यान ने देखने लगीं ।

" जी आन्टी ठीक हूं, आप कैसी हो ? " स्नेहा ने पूछा ।

" मैं भी ठीक हूं, तुम्हारे मुकदमें का क्या हुआ? तलाक मिल गया? " विमला आन्टी ने पूछा ।

" नहीं आन्टी, अभी मामला कोर्ट में ही है " स्नेहा ने कहा ।

" तो बिटिया यह चूड़ी, बिन्दी और सिन्दूर क्यों हटा दिया, देखो कैसा भी हो हैं तो वो अभी भी तुम्हारा सुहाग ही ना? ऐसा करना सही नहीं है मेरी मानो तो जब तलाक हो जाये तब हटाना यह सब । अच्छा अब मैं चलती हूँ " विमला आन्टी ने कहा और चली गयीं लेकिन स्नेहा फिर से उदास हो गयी और सोचने लगी कि जिस आदमी ने उसे पत्नी तो दूर कभी इन्सान नहीं समझा, बिना गलती के मारना पीटना और शक करना जिसकी आदत थी और आज जिसके नाम वो मुक्ति पाना चाहती है , कैसे उसके नाम की चूड़ी पहने , कैसे उसके नाम का सिंदूर अपनी मांग में सजाये, पर शायद विमला आन्टी सही कह रही हैं , वो अभी भी शादीशुदा है तो उसे इस तरह से यह सब नहीं हटाना चाहिये । स्नेहा यह सब सोच ही रही थी कि विनी आ गयी।

" क्या हुआ दीदी ? कहाँ खोई हो ? " विनी ने पूछा ।

" कहीं नहीं, वो विमला आन्टी अभी यही थीं तो उन्हीं से बातें हो रही थी ।

" हे भगवान! अब वो क्या ज्ञान देकर गयी ? " विनी ने कहा ।

" कुछ नहीं, बस ऐसे ही हाल चाल पूछ रही थी। अच्छा एक बात बता, क्या तुझे ऐसा लगता है कि मुझे रोहित के नाम का सिंदूर अभी भी अपनी मांग में भरना चाहिए " स्नेहा ने कहा ।

" नहीं बिल्कुल नहीं, उसकी नाम का सिंदूर क्या मेरा बस चले तो मैं आप पर उसकी छाया भी न पडने दूं , वैसे आपके दिमाग मे यह बात कहाँ से आयी ? कहीं विमला आन्टी ....? विनी ने पूछा।

" अरे नहीं, वो तो बस मैं ऐसे ही ....., अच्छा चल अब घर चलें " स्नेहा ने कहा और फिर दोनों घर आ गयीं लेकिन स्नेहा के चेहरे पर परेशानी की लकीरें अभी भी थीं जिसे घर पर सब महसूस भी कर रहे थे ।

चार दिन बाद स्नेहा और विनी ने सीमा जी के बहुत कहने पर बाहर जाने का प्लान बनाया । स्नेहा तैयार हो गयी लेकिन तभी उसे विमला आन्टी की बात याद आ गयी तो उसने अपनी मांग में अन्दर की ओर हल्का सा सिंदूर डाल लिया और एक छोटी सी बिन्दी लगा ली , फिर उसकी नजर अपने सुने हाथों पर गयी तो उसने दो दो चूड़ी डाल लीं और बाहर आ गयी । सीमा जी ने जैसे ही बेटी को तैयार देखा तो खुश हो गयीं क्योंकि आज महीनों बाद वो ढंग से तैयार दिख रही थी । सीमा और विनी निकलने वाली ही थीं तभी पड़ोस की सुजाता आन्टी आ गयीं ।

" अरे स्नेहा, कहीं जा रही थी क्या बेटी ? " सुजाता आन्टी ने पूछा।

" हाँ आन्टी, हम लोग पिक्चर देखने जा रहे हैं " विनी ने कहा ।

" चलो अच्छा है, इसी बहाने तुम्हारा मन बहल जायेगा " सुजाता आन्टी ने कहा ।

" अरे जब मैंने इतनी जिद करी तब जाकर यह तैयार हुयी है " सीमा जी ने कहा ।

" नहीं बेटा, बाहर जाया करो तो तुम्हारा भी मन लगा रहेगा वैसे सीमा इसके मुकदमें का क्या हुआ, आपसी समझौता हो गया क्या? " सुजाता आन्टी ने पूछा।

" समझौता किस बात का? अब तो सिर्फ तलाक ही होगा मैं दोबारा अपनी बेटी को उस जहन्नुम में नहीं भेजूगीं " सीमा जी ने कहा ।

" हाँ सही कह रही हो , भेजना भी नहीं चाहिए, मैंने तो इसलिए पूछा कि स्नेहा एकदम शादीशुदा लडकी के जैसे तैयार है तो मुझे लगा कि शायद समझौता हो गया, वैसे अगर मुकदमा किया है तो यह सब करने की क्या जरूरत है? " सुजाता आन्टी ने कहा तो स्नेहा नीचे की ओर देखने लगी ।

" आन्टी आप अकेले आयीं हैं अपने साथ रेखा और विमला आन्टी को भी ले आती तो अच्छा रहता " विनी जो अब तक सब सुन रही थी बोल पड़ी ।

" क्यों क्या हो गया? " सुजाता आन्टी ने कहा ।

" नहीं अगर आप उन दोनों को साथ ले आती तो आपको अपने सवालों के सभी जवाब मिल जाते और आप को ही क्यों उन दोनो को भी मिल जाते " विनी ने कहा तो सब चौंक गये ।

" विनी यह क्या तरीका है बड़ो से बात करने का "? सीमा जी ने कहा ।

" माँ जब बड़ो के सवाल ही ऐसे ही कि जिनका देते न बने तो क्या किया जाये, दीदी पहले से ही इतना झेल चुकी है , आज हमारे इतना कहने पर तैयार क्या हो गयी तो अब इसमें भी परेशानी है" विनी ने कहा ।

" देखा सीमा इसकी बातें , बताओ मैंने ऐसा क्या कह दिया था। मानों या न मानों हमे तुम्हारी स्नेहा की बहुत चिंता होती है क्योंकि वो बहुत प्यारी और सभ्य है लेकिन यह विनी तो..... " सुजाता आन्टी ने कहा ।

" हाँ नहीं हू मैं सभ्य और न ही मुझे बनना है ,वो भी इस समाज में जहां आप लोगों जैसे लोग रहते हैं । कोई लडकी जिसके ससुराल में उसपर अत्याचार हुये हैं और वो बेचारी पहले से ही दुखी है उसे यह बोलना कि शादी के बाद लडक़ी की इज्जत ससुराल से ही होती है , अगर पति ने माफी माग ली तो उसे लौट जाना चाहिये क्यों भाई? क्यों लौट जाना चाहिये दुबारा मार खाने के लिये ? अभी लड़की इन सवालों से जूझ ही रही है कि फिर कोई यह कहे कि अरे तुमने चूड़ी बिन्दी क्यों हटा दी तुम तो अभी भी शादीशुदा हो ? और अगर वो लडकी उसकी बात मानकर चूड़ी बिन्दी लगा ले तो भी समस्या ' अरे तुम्हारा मुकदमा चल रहा है और तुम ऐसे सज संवर के क्यों घूम रही हो ? लोग क्या कहेंगे? मुझे एक बात बताईये कि क्या एक लडकी जो पहले से परेशान है उसे इतना परेशान करना ठीक है ?। हर लडकी चाहती है कि वो शादी के बाद खुश रहे , अपने मायके पूरे मान सम्मान के साथ आये लेकिन अगर कभी किसी को गलत परिवार मिल जाये तो क्या वो जान दे दे ? दीदी जिस जगह पर है वहाँ से वो सिर्फ कागजों में शादीशुदा है असल जिंदगी में इसका कोई मतलब नहीं है वो चाहती है कि उसे उसके इस कागजी शादी से मुक्ति मिल जाये तो कम से कम वो तलाकशुदा तो कहलाये क्यों कि शादीशुदा और तलाकशुदा के बीच का यह जो जीवन है वो किसी नर्क से कम नहीं है । हर कोई आकर अपना ज्ञान देकर चला जाता है बिना यह सोचें कि सामने वाले पर इसका असर होगा, क्योकि हमें तो अपना ज्ञान देना है चाहे तुम्हें अच्छा लगे या बुरा। बुरा मत मानियेगा आन्टी जरा एक बार दिल पर हाथ रखकर सोचियेगा कि क्या हमारे समाज के द्वारा किये जाने वाले यह प्रश्न उचित हैं? " विनी ने कहा तो सुजाता आन्टी की नजरें झुक गयीं और वो सीमा जी से हाथ जोड़कर घर से चली गयीं और स्नेहा चुपचाप कुर्सी में बैठ गयी ।

" मुझे माफ कर देना दीदी लेकिन मैं रोज रोज यह सब नहीं सुन सकती " विनी ने कहा ।

" सुन तो मैं भी नहीं सकती लेकिन शायद मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं इसका जवाब दे सकूं । शायद इतनी हिम्मत होती तो आज मैं यहाँ नहीं होती " स्नेहा ने कहा ।

" तुम्हारे अन्दर बहुत हिम्मत है स्नेहा ! यह जो समय है शादी शुदा से तलाकशुदा बनने के बीच का वो बहुत कठिन होता है और इस समय जो तुम झेल रही हो वो झेलना बहुत मुश्किल होता है , इस मानसिक स्थिति में इतना शांत रह पाना आसान नहीं होता है। मैं तो भगवान से बस यही प्रार्थना करती हूँ कि भगवान कभी भी किसी भी लडकी को यह समय न दिखाए और मुझे तो गर्व है मेरी दोनों बेटियों पर , बस तुम दोनो इसी तरह हमेशा एक दूसरे के साथ खड़ी रहना और हमेशा एक दूसरे का साथ देना" सीमा जी ने कहा तो स्नेहा और विनी उनके गले लग गयीं ।

दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताएं आपके सुझाव की बहुत आवश्यकता है कोई भी गलती हूई हो तो उसके लिए क्षमा चाहती हूँ और आपके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों कमेन्ट दिल से स्वीकार हैं और अगर आपको मेरे ब्लॉग पसंद आ रहे हो तो प्लीज फालो जरूर करियेगा ।

धन्यवाद ।



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स्वाति शुक्ला

swatidwivedi

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