मम्मी, जल्दी से नाश्ता दे दो मुझे कॉलेज के लिए निकलना है। सौम्या ने अपने कमरे से निकलते हुए बोला।
ये ले बेटा, लगा दिया नाश्ता और ये रहा तेरा टिफ़िन बॉक्स। समय पर खा लेना। रीता जी ने कहा।
कम्मो इधर आ बैठ तू भी खा ले जल्दी से, तुझे भी तो बाकी घरों का काम निपटाने जाना है। साथ ही रीता जी अपनी भी नाश्ते की प्लेट लेकर बैठ गई।
कम्मो रीता जी के घर की साफ सफाई और दूसरे कामों में मदद करती थी और रोज ऐसे ही रीता जी उसको जबरदस्ती साथ बैठा कर नाश्ता करवाती।
सौम्या रोज ही देखती मां को ऐसा करते। सुबह माली काका को भी ऐसे ही चाय और बिस्किट देती और दिन में कम्मो को उतने ही प्यार से नाश्ता देती।
मम्मी, एक बात बताओ आप माली काका और कम्मो को ठीक हमारे साथ एक ही समय पर चाय, नाश्ता और खाना देती हो....ऐसा क्यों? आप उनको सबका खाना हो जाने के बाद भी तो दे सकती हो....कम्मो जीजी रसोई में बैठ कर भी तो खा सकती है। मैंने देखा है अपनी सहेलियों के घर में... या तो वो लोग बाद में खाने को देते हैं या फिर रसोई में अलग बैठ कर खाने को कहते हैं। सौम्या ने एक साथ कई सारे प्रश्न पूछ डाले।
रीता जी ने सौम्या को अपने पास बैठाया और बोली, "बेटा हाथ की पांचों उंगलियां समान नही होती, तो क्या हम उनमें फर्क करते हैं.... नही ना? ठीक उसी तरह हम इंसान भी एक ही भगवान के हाथों बनाये गए हैं, फिर भी कोई छोटा तो कोई बड़ा है, कोई गोरा तो कोई काला है। कोई अमीर तो कोई गरीब है। हम सब अपनी शिक्षा, योग्यता और बुद्धि के अनुसार अपना काम करते हैं। सोचो क्या मैं या तुम्हारे पापा माली काका की तरह बगीचे को सुंदर सजा सकते है...नही ना? सोचो अगर कम्मो ना होती तो मैं अकेले टाइम पर सबका नाश्ता और टिफ़िन बॉक्स तैयार कर पाती?"हम सब इंसान एक समान है...और हमारे बीच सबसे पहला रिश्ता है इंसानियत का। समझी मेरी गुड़िया... अब जा नही तो कॉलेज के लिए देर हो जाएगी।सौम्या ने भी अपनी मम्मी को गले से लगाया और बोली, "आप वर्ल्ड की बेस्ट मम्मी हो"....और अपना बैग ले कॉलेज के लिए निकल गई।नाश्ता करते हुए सब कुछ चुपचाप सुन रही कम्मो ने आंखों से ही रीता जी को अपना आभार व्यक्त किया।
धन्यवाद।
स्वाति रॉय
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
खूबसूरत
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