राधा और श्याम की जोड़ी उनके नाम की तरह ही प्यारी और हँसमुख जोड़ी थी। दोनों ही परिवार से अलग दूसरे शहर में रहकर नौकरी कर रहे थे। आस पड़ोस, ऑफिस के सहकर्मी सब की मदद करना दोनों के स्वभाव में था इसलिए सभी दोनों को बहुत प्यार करते थे।
सब कुछ सही चल रहा था, बस दोनों के जीवन में कमी थी तो एक बच्चे की। राधा और श्याम की शादी को सात साल होने को थे पर अभी तक दोनों मां-बाप के सुख से वंचित थे। दोनों ने सब तरह के टेस्ट और इलाज में कोई कमी नहीं रखी लेकिन कुछ फायदा नही हुआ। दोनों ने ही भगवान की मर्जी समझ हालात से समझौता कर लिया था।
एक दिन उनके पड़ोस में रहने वाली रमा काकी ने उन दोनों को एक बच्चा गोद लेने का सुझाव दिया और कुछ ऐसी संस्थाओं के बारे में भी बताया।
रमा काकी की बातों से दोनों के मन में एक उम्मीद की किरण जगी थी। दोनों ने अपने आप को मानसिक रूप से तैयार किया और अडॉप्शन प्रक्रिया की खोजबीन शुरू कर दी थी।
दोनों ही एक दिन अडॉप्शन ऐजेंसी पहुंचे जानकारी लेने के लिए। सारी जानकारी लेने और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन किया। अब दोनों ही बाकी सारी प्रक्रिया पूरी करने और बच्चे को घर लाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
दोनों जब पहली बार अडॉप्शन ऐजेंसी गए बच्चों को देखने तो एक बच्चे पर जाकर उनकी नजर अटक गई। वो बच्चा बाकी बच्चों से अलग एक कोने में चुपचाप बैठ कर उदास नजरों से सबको देख रहा था।राधा और श्याम दोनों को ही उस बच्चे पर प्यार उमड़ आया और उन्होंने जब बच्चे के बारे में जानकारी लेनी चाही तो पता चला कि वो एक चार साल का स्पेशल चाइल्ड है जो की "डाउन सिंड्रोम से ग्रसित है और इसलिए वो यूं अकेले बैठा रहता है क्योंकि वो सामान्य बच्चों में घुलने मिलने से डरता है।
राधा और श्याम घर लौटकर उस बच्चे के बारे में ही सोचे जा रहे थे और दोनों ने आपस मे बातचीत कर निर्णय लिया और अगली सुबह दोनों ने अडॉप्शन ऐजेंसी से जाकर बात की और उस बच्चे को गोद लेने की अपनी इच्छा जताई। ऐजेंसी वाले ये जान कर खुश थे फिर भी उन्हें सोचने के लिए बोला।
श्याम ने कहा, "हम निसंतान है और एक बच्चे को गोद लेकर ना सिर्फ उस बच्चे का बल्कि अपना जीवन भी खुशियों से भरना चाहते हैं। अगर ये एक स्पेशल चाइल्ड है तो हम भी तो स्पेशल पेरेंट्स बन सकते हैं।"
राधा ने भी कहा, "हर मां बाप के लिए उनका बच्चा स्पेशल ही होता है। बच्चे अपने मां बाप के लिए एक समान होते हैं। परिवार पाने का हक जितना हमें है उतना हक इन बच्चों को भी है। इसलिए ये हम दोनों का ही फैसला है कि हम इस बच्चे को ही गोद लेंगे।
"मैं इसकी मां राधा, ये इसके पापा श्याम और ये कहलायेगा हमारा "प्यारा गोपी" बेटा।"
धन्यवाद।
स्वाति रॉय
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत अच्छी जानकारी दी
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