"गुलाबी आँखे जो तेरी देखी
शराबी ये दिल हो गया
सम्भालो मुझको ओ मेरे यारों
सम्भलना मुश्किल हो गया "|
स्टेज पर गिटार लेकर झूम-झूम कर गाते हुए अभय पर से अनुभा की नजरें हट नहीं रही थी |
अभय जबसे यहाँ आया था अनुभा को सब कुछ गुलाबी गुलाबी सा लग रहा था, हर समय हँसता - मुस्कराता और दौड़ दौड़ कर सबकी जरूरतें पूरी करताअभय सबकी नजरों में अपनी छवि जमा चूका था |
अनुभा अपनी बुआ की बेटी की शादी में आयी हुई थी और अभय उसके फूफा जी के किसी खास रिश्तेदार का बेटा था |
अभय की माँ को अनुभा बहुत अच्छी लगी और वो उसे बेटी - बेटी कह कर उस पर अपना लाड लूटा रही थी और अब अनुभा भी उनकी एक आवाज पर उनके काम के लिए दौड़ी आती |
रिश्तेदारों के बीच कानाफूसी और हँसी - मज़ाक़ शुरू हो गया अनुभा और अभय को लेकर की शायद अभय की माँ को अनुभा अपने बेटे के लिए पसंद आ गयी है |यही बाते सुनकर अनुभा के दिल में अभय के लिए एक खास जगह बनने लगी |अभय भी कभी कभी कनखियों से उसे देखकर मुस्कुरा देता |
अनुभा के माता - पिता को भी अभय ठीक लग रहा था अपनी बेटी के लिए तो सब सोच ही रहे थे कि ये शादी बीत जाए फिर कुछ दिनों बाद बात शुरू करेंगे |
शादी के बाद सब वापस लौट आये अनुभा को तो अब बस इस बात की बैचेनी थी कि कब अभय से मेरे रिश्ते की बात शुरू की जाए | कुछ समय बाद अनुभा की बुआ द्वारा अनुभा का रिश्ता अभय के लिए भेजा गया साथ ही तैयारियाँ भी शुरू कर दी गई पर सबके ऊपर बिजलियाँ तब गिरी जब अभय की माँ ने इस रिश्ते से साफ इंकार कर दिया किसी को भी इस परिणाम की उम्मीद नहीं थी |अनुभा का तो रो - रोकर बुरा हाल था |
समय बीता अब अनुभा की शादी भी दूसरी जगह हो गयी |कुछ समय बाद अनुभा की बुआ की छोटी बेटी की भी शादी पड़ी अनुभा भी उस शादी में गयी | शादी में जैसे ही अभय की माँ उसके सामने पड़ी अनुभा ने उन्हें अनदेखा करने की कोशिश की, पर अभय की माँ ने उसे बेटी कह कर हाथ पकड़ लिया और एकान्त में ले गयी |
एकांत में ले जाकर उन्होंने अनुभा से कहा "बहुत नाराज हो न मुझसे अनु की मैंने तुझे अपनी बहु क्यों नहीं बनाया सच कहूँ तो मुझे तेरी जैसी बहू तो दिया लेकर भी ढूँढने पर नहीं मिलेगी, पर मेरा बेटा अभय ही तेरे लायक नहीं है तेरे क्या वो तो किसी भी अच्छी लड़की का पति बनने लायक नहीं है |
बात ये है अनु की अभय जैसा खुद को सबके सामने दिखाता है वो वैसा है नहीं उसे बहुत सारी गलत आदतें हैं लड़कियों के साथ फ्लर्ट करना तो उसका प्रिय शगल है,
लड़कियों को तो माँ - बाप किसी भी तरह रोक लेते हैं पर लड़के जब एक बार माँ - बाप के हाथ से निकल जाते हैं तो उनका लौटना बहुत मुश्किल होता है बेटा |
अब बता बेटा जब तेरे लिए मेरे दिल में अपने बच्चे जैसे प्यार उमड़ा तो कैसे तुझे कुएं में धकेल देती, हो सके तो मुझे माफ़ कर देना बेटा |
अनुभा ये सुनकर सन्न रह गयी और अभय की माँ के गले लगे गय कर बोली आंटी दुनिया के हर लड़के की माँ की सोच आप जैसी हो जाए तो शायद किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद न हो |दिल से सेल्यूट है आपको |
और आँसुओं की बारिश में अनुभा के मन की गलतफहमियां धुलती रही |
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धन्यवाद
सुरभि शर्मा
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