चपर - चपर पकौड़े को अपने मुँह में दबाते हुए साथ ही गर्म - गर्म चाय सुटकते वर्मा जी की जुबान बहुत तेज चल रही थी और मिसेज वर्मा किचन से अपने कान बाहर लगाए हुए थी |
अरे सुना है तुमने कुछ वो जो चार घर छोड़ कर चौधरी जी रहते हैं न जिनकी बिटिया बाहर नौकरी करती है उसने शादी कर ली है| सुनने में आ रहा है कि शादी 6 महीने पहले ही कर ली थी पर लोगों को पता अब चल रहा है |
पाँव भारी हैं शायद उसके अब, तो पता चला सबको |
"ऐसा कैसे हो सकता है चौधरी भाईसाहब ने आपसे ये कहा?
नहीं उन्होंने तो नहीं कहा वो जनार्दन बाबू हैं न उनकी बिटिया और चौधरी की बिटिया दोस्त हैं तो शायद ये खुफिया खबर वहीं से निकली है, सच ही होगा क्योंकि धुंआ वहीं उठता है जहाँ आग होती है |
सुनिए जरा वहां बगल में टेबल पर देखिए, चौधरी भाईसाहब आज सुबह ही शादी का कार्ड देकर गए हैं अपनी बिटिया का और हाँ कभी - कभी किसी पचड़े में न पड़ने वाले सीधे - साधे लोगों की जिंदगी में कुछ शैतान दिमाग के लोग जबर्दस्ती आग लगा कर धुआं उठाने की कोशिश करते हैं |"
अगर आपको मेरी कहानी पसन्द आ रही हो तो आप चाहें तो मुझे फॉलो कर सकते हैं |
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सुरभि शर्मा
04 .08.20
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