बिदेसिया

"कुछ तो लोग कहेंगे" समाज की मानसिकता को व्यक्त करती हुई एक कहानी |

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 26 Oct, 2021 | 1 min read



आज यूँ ही एल्बम खोल पुरानी यादें ताजा करने लगी तो नजर प्रियंवदा की तस्वीर पर ठहर गयी |


कॉलेज जाते समय स्कूटी स्टार्ट करते हुए पान की गुमटी पर खड़े हुए लड़कों के मुँह से काली, कलूटी बैगन लूटी, काले - काले मुखड़े पर काला - काला चश्मा जैसे तंज सुनना उसकी दिनचर्या में शामिल हो चुका था, उससे कॉलेज के लिए लिफ्ट लेते समय सबके ताने सुन कभी - कभी मेरी आँखे बहने को तैयार हो जाती पर मजाल है जो उसके चेहरे पर एक शिकन तक आती हो | बस हर क्लास में सर्वोच्च अंक प्राप्त करना, किताबें, घर, और आँखों में कुछ कर दिखाने के सपने तक सीमित उसकी दुनिया |


पढ़ाई पूरी होते उसने आइ टी सेक्टर में नौकरी जॉइन कर ली और मेरी शादी मोहल्ले में ही दो घर छोड़ कर हो गयी |उसकी शादी में उसका रंग अड़चन डालने लगा और मोहल्ले में खुसुर-पुसुर चालू और कटाक्ष की चादर ओढ़ सहानुभूति जताते लोग अरे! भगवान ने काजल सा रंग दिया ऊपर ने नैन नक्श भी बिल्कुल साधारण, ऊँची डिग्री और नौकरी से का होत है बिन भारी दान - दहेज के तो इसका ब्याह न होने वाला और एक दिन प्रियंवदा मुझसे मिलने आयी मिठाई का डिब्बा लेकर कंपनी किसी प्रोजेक्ट के लिए उसे रूस भेज रही है |


यादों के सागर में गोते लगा ही रही थी कि मोबाइल पर फेसबुक का नोटिफिकेशन बजा, लॉगिन किया तो खुशी से चीख निकलते निकलते बची सामने स्क्रीन पर प्रियंवदा की शादी की तस्वीरें थी 'प्रियंवदा मैरिड विद एंनथोन अलेक्जेंडर' की हेडिंग के साथ |


और थोड़ी ही देर में मोहल्ले में फिर खुसुर-पुसुर चालू थी अरे ऊ प्रियंवदा अब बिदेसिया हो गयीं उसने बिदेश में ही किसी बिदेशी से शादी कर ली |आजकल ल़डकियन को ज्यादा छूट देने का इहे नतीज़ा होत है |


और मैं इनकी सुगबुगाहट के बीच इसलिए खुश थी कि अब मेरी दोस्त लोगों के लिए कलूटी की अब जगह बिदेसिया हो गयी |


सुरभि शर्मा


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Surabhi sharma

surabhisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत खूब 👌

  • Surabhi sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया

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