असमंजस की स्थिति में कभी मासी माँ की ओर आश्चर्य से देखते हुए तो कभी आभास के चेहरे को घूरते हुए और सब तो बाहर निकल गए पर अभय अपना अधिकार और कर्तव्य समझ वहीं डटा रहा तब मासी माँ ने अभय की ओर देखते हुए पानी के गिलास की तरफ संकेत किया |अभय ने जल्दी से तांबे के जग से गिलास में पानी डाला और मासी माँ को पिलाने लगा |पानी पी लेने के बाद मासी माँ ने अभय को धीरे से कहा कि अभु तू भी बाहर जा |मैं कुछ देर सिर्फ रत्न के साथ रहना चाहती हूँ | जब मासी माँ को आभास पे बहुत प्यार आता तो वो उसे रत्न कह कर पुकारती | अभय आभास को देख मुँह बिचकाते हुए बाहर निकल गया |सबके निकल जाने के बाद मासी माँ ने आभास को दरवाज़ा बंद कर अपने पास बैठने के लिए एक बेंत की मोढे की तरफ इशारा किया |
आभास ने बैठते ही भरी हुई आँखों से मुस्कराता सा ताना कसा 'का हो अम्मा अब हमरा के बेघर करे के चाहत हऊ'
इतना जल्दी तोहरा ऊपर जाए के शौक चरा गईल, और ई का रूप धरले हऊ कौनो नाटक कंपनी जॉइन कईले हऊ का? इतना कह ठहाका लगाने लगा पर छुपाते हुए अपने नमकीन मोती को भी अपनी हथेलियों के पोरों में धीरे - धीरे समेट रहा था |
मासी माँ ने उससे धीरे - धीरे बोलना शुरू किया कि जानता है बेटा कभी कहीं पढ़ा था कि "जाना सबसे दुःखद क्रिया होती है" |पर अभी तीन दिन पहले जब मैंने सिर्फ कहे जाने वाले किसी अपने के जाने की क्रिया सुनी तो वो पल मुझे स्वर्ग सा आनन्द दे रहा था | और आज यूँ लग रहा है कि सजी हुई पालकी जल्दी ही अब मुझे ले जाएगी उसका हिसाब बराबर करने के लिए |आभास सिर्फ सुनता रहा और जुबान की जगह उसकी गीली आँखे प्रतिक्रिया देती रही, फिर मासी माँ ने उसे एक अलमारी की चाभी दी और लॉकर खोल ब्लू डायरी निकाल कर लाने को कहा |मखमली नीली कलर की एक पुरानी डायरी जिस पर सुनहरे रंग में धुँधलाया सा जगदीश साड़ी केंद्र "छपा दिख रहा था और पीले पन्ने कहीं कहीं से अपनी मुक्ति को छटपटा रहे थे | आभास ने मासी माँ को डायरी देनी चाही तो मासी माँ ने कहा अपनी ये अमानत मैं तुम्हें सुपुर्द करती हूँ इस डायरी में मैंने अपनी दस साल की आयु से लेकर अब तक जीवन के सब खास पल शब्दों में पिरोए हैं |
आभास कुछ पूछने जा ही रहा था कि दरवाजे पे खटखटाहट
हुई |दरवाज़ा खोला तो सामने मालती काकी खड़ी थी |
उन्होंने आभास से कहा "बाबु रात के दस बजे जात ह खाना खा लीं लोगन, आभास ने उनसे अपना और मासी माँ का खाना कमरे में ही दे जाने के लिए कहा |
क्रमशः
सुरभि शर्मा"
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