सुनो,पुरुष सत्ता
कुछ कोना हम स्त्रियों के लिए भी
सुकून भरा और महफूज रहने दो न,
हमें भी कहीं खुलकर जीने दो, थोड़ा
अपने मन की बात कहने दो न |
अगर कभी आधी रात
हमारे सोशल मीडिया प्रोफाइल की
ग्रीन लाइट सक्रिय दिखा रही हो
तो तुम खुद से ये क्यूँ समझ लेते हो
कि ये तुम्हें आमंत्रण का इशारा है
ये भी तो हो सकता है कोई
कहानियां पढ़कर या
विदेश में बसे पारिवारिक रिश्तों
के साथ अपनी कुछ परेशानियां
मिटा रहा हो |
समाज में छोटे कपड़े मत पहनो
ऐसे मत चलो वैसे मत बैठो
खूबसूरत हो तो चेहरा घूंघट में रखो
आज तक कहीं न कहीं ये सब
सहते आ रहे हैं, और अब
अच्छी लड़कियां सोशल मीडिया
यूज़ नहीं करती, वो अपनी
तस्वीरें यूँ नहीं डालती
वो इतनी बेबाक अपनी बातेँ
नहीं लिखती
वो सबसे यूँ बातेँ नहीं करती
अब ऑनलाइन भी लड़कियों के लिए
नए नियम बना रहे हैं |
तुम कभी खुद में क्यूँ नहीं झांकते
क्यों तुम्हें ये लगता है कि थोड़ी
मुखर, वाचाल और चंचल स्त्रियाँ
हमेशा व्यापार होती हैं
तुम्हारी ऊलजलूल और भोग - लिप्सा
के लिए तुम्हारी वासना का शृंगार होती हैं |
बहन, बेटी, बहू, माँ और दूसरे स्त्रियों के लिए
नियम बनाते बनाते अपनी मर्यादा अक्सर भूल जाते हो
और फिर "कृष्ण" हैं क्या "? इसका अर्थ समझे बिना
अपनी बेहूदगी को रास - लीला बताते हो |
एक बात पूछना चाहती हूँ
ये जो तुमने खुद को काबिल बनाने के लिए
वीर पुरुष और कोमल नारी का इतिहास गढ़ा है
बता सकते हो क्या मुझे?
महारानी लक्ष्मीबाई और महाराणा प्रताप की
वीरता में कौन बड़ा है!
फिर भी क्यों तुम ये समझ न पाते हो
हर जगह अपनी ताकत के घमंड में
क्यों हमारी नजरों में
दिन ब दिन खुद को नीचा गिराते हो |
कापीराइट
सुरभि शर्मा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
कई प्रश्न हमसे व इस समाज से पूछती हुई यह रचना
Kumar Sandeep 🙏🙏
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