नन्हे की शिकायत

बदलता बचपन

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 01 May, 2023 | 1 min read




मत छीनो ना मेरा बचपन 

इन भारी बस्तों के बोझ तले 

सुबह से लेकर शाम पढ़ाई 

 बोलो ना हम कब खेलें? 

"अभी तो ठीक से 

चलना भी नहीं सीखा 

फ्रॉग रेस हमसे कराने लगे 

बोलना भी नहीं आता 

ठीक से अभी हमें, फिर क्यों 

ट्विंकल ट्विंकल रटाने लगे? 

चम्मच भी नहीं पकड़ पाता अभी 

ए, बी, सी, डी मैं कैसे लिखूँ?

सुबह सोना चाहता हूँ 

जगा देते जबर्दस्ती 

रोते रोते वन, टू, थ्री कैसे सीखूँ? "

माँ ये डे केयर, प्ले स्कूल 

मुझे जरा ना भाते हैं 

झूले तो हैं बहुत वहां 

फिर भी जाने क्यूँ? 

तेरे आँचल की याद दिलाते हैं |

घर में ही सिखाओं ना मुझे तमीज 

ठीक से खाने पीने का 

क्यूँ परायों को सौंप आती हो 

"जी लेने दो मुझे भी थोड़ा बचपन अपना" 

क्यूँ जिम्मेदारी अपनी 

प्रगति के नाम पर 

दूसरों पे थोप आती हो |


सुरभि शर्मा 


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