लगभग डेढ़ साल बाद स्कूल खुलने के बाद हर घर में बच्चों को सुबह जगाने की क़वायद फिर शुरू हो चूकी है |
खासतौर पर छोटे बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है | तो कोशिश की है कुछ छोटे - छोटे टिप्स देने की |
6 वर्षीय वैष्णवी को हर सुबह 7बजे (स्कूल टाइम) कभी पेट में दर्द होने लगता है, कभी बुखार जैसा लगने लगता है, कभी सिर्फ उसे ही स्कूल की छुट्टी का पता होता है (उसे पता नहीं डिजिटल युग है छुट्टी के msg मोबाइल पे आ जाते हैं) वैष्णवी के अनुसार स्कूल में कभी होमवर्क नहीं मिलता ये बात अलग है कि स्कूल डायरी ओपन करते ही होमवर्क डायरी एक के बाद एक उस नन्ही जान के सारे मासूम बहानों के राज खोल देते हैं
हर माँ को इन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है पर बच्चे अगर स्मार्ट किड्स हैं तो हम भी सुपर मम्मा हैं जो इनकी चालाकियों को अपने सुपर पावर से मात कर ही देते हैं ऐसे ही कुछ सुपर टिप्स
1-जब मैं छोटी थी और नखरे दिखाती थी तो मुझे रास्ते पे लाने के लिए मम्मी के पास बहुत सी कहानियां हुआ करती थी जिसमें स्कूल जाने वाले बच्चे "अच्छे बच्चे" होते थे जिनसे परियां मिलने आती थी. होमवर्क पूरा करने पर भगवान जी ख़ुश होकर आगे उसे डॉ इंजीनियर बना देते हैं जैसे कल्पनाओं के खूबसूरत रँग भरे होते थे और इन स्टोरी के मुख्य पात्र मेरे रोल मॉडल हो जाते थे तो मोबाइल TV से दूर अपने बच्चे के साथ कुछ देर काल्पनिक दुनिया में समय बिताए और उन्हें स्कूल जाने के, पढ़ाई करने के फायदे रोचक कथा द्वारा मजेदार अंदाज में बताएं.
2-सबसे बड़ी समस्या बच्चों को सुबह जगाने की आती है इसके लिए कभी कभी स्मार्ट टिप्स यूज़ करें जैसे कभी अपने बच्चे को बोले सुबह बिना तंग किए उठ जाओगे तो पिल्लो के नीचे सरप्राइज मिलेगा (उसके पसंद की कोई चीज तकिये के नीचे रख दें चॉकलेट, टॉय, क्रेयान कुछ भी पर ऐसा कभी कभी ही करें). कभी कभी टिफिन सरप्राइजएज दें.
3-बच्चों को अपने दोस्तों से बहुत प्यार होता है कभी कभी उसके बेस्ट फ्रेंड के लिए भी एक चॉकलेट दें इससे एक तो उसे स्कूल जाने की इच्छा रहेगी और साथ ही sharing values भी डेवलप होगी.
4-पढ़ाने के लिए कुछ मजेदार तरीके अपनाए जैसे टेबल लर्न कराना है तो उसे गेम में कन्वर्ट करें 2×1=2 आप बोले 2×2=? बच्चे को बोलने दे मॉम - चाइल्ड कॉम्पिटिशन रखें पर हमेशा बच्चे से हारे ना स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के नियम समझाने के लिए उससे कभी कभी जीते भी इससे पढ़ाई भी मजेदार बनेगी. साथ ही साथ जीवन के मूल्य भी सीखते जाएंगे बच्चे(जिन्हे समय की कमी हो किचेन के काम करते समय बच्चों को वहीं बैठा कर ओरल आप काफी कुछ सीखा सकती हैं)
5-सारी जिम्मेदारी सिर्फ स्कूल और ट्यूटर पर डाल कर निश्चिंत ना रहें ख़ुद भी ध्यान रखें बच्चे क्या सीख रहे हैं और कैसे सीख रहे हैं?
6-बच्चों को पंख फैलाना खुद सीखने दे उनके कल्पना के रंग कितने चटक हैं इसका पता लगाने के लिए स्कूल से मिले प्रोजेक्ट के लिए तुरंत इंटरनेट का सहारा ना ले उन्हें अपनी सृजन क्षमता द्वारा खुद उड़ान भरने का मोका दें.
7-सबसे जरूरी बात जिस तरह हम (बहू के रूप में खुद को मशीन कहलाना पसंद नहीं करते) उसी तरह बच्चों को भी रेट रेस के नाम पर रोबोट बनाने की कोशिश ना करें अगर आपने बच्चे के लिए हॉबी क्लास लगवा रखे हैं तो स्कूल, ट्यूशन, सेल्फ स्टडी, हॉबी क्लास सबके बाद बच्चे के पास अपनी ख्वाब की दुनिया में जीने के लिए, कल्पना के आकाश में अपने पंख फैलाने के लिए उसके पास पर्याप्त समय है या नहीं इस बात का ध्यान जरूर रखे क्यूँकि ये बच्चे हैं मशीन नहीं|
धन्यवाद
सुरभि शर्मा
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