कटु सत्य

कुछ कड़वे सच

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 25 Oct, 2021 | 1 min read

      



हृदय लिखना चाहता है

प्रकृति का सौन्दर्य

धरती की हरीतिमा

कल - छल करती नदियों का वेग

पक्षियों का मीठा कलरव|


पर कलम लिख देती है

 ग्लोबल वार्मिंग

जंगलों की लाश पर

 आलीशान बहुमंजिला इमारतें

काला होता नदियों का पानी

और बेघर होते पक्षियों की

मौन विवश चीत्कार|


हृदय लिखना चाहता है

रिश्तों की मिठास

सहयोग, सम्मान,

निःस्वार्थ प्रेम, आदर सत्कार|


पर कलम लिख देती है

छल, प्रपंच, स्वार्थ, कूटनीति

पैसों की आड़ में

व्यापार बनता

रिश्तों का बाजार, |


हृदय लिखना चाहता है

बच्चों की मासूम किलकारी

नादानी, मुस्कान, खेलता बचपन

और उमंग और चंचलता भरा कैशओर्य 


पर कलम लिख देती है

उम्मीदों के बोझ तले

खोता बचपन

एक अनदेखे डर के साये में जीता बचपन

मंजिल पाने की होड़ में भटकता केशौर्य 

चंचलता कि जगह वीभत्स होता केशौर्य|


हृदय लिखना चाहता है 

नारी का सम्मान, लक्ष्मी की पदवी 

 शक्ति का रूप 

पर कलम लिख देती है 

वासना, तृष्णा मिटाने का साधन 

दासी और अबला|


हृदय लिखना चाहता है 

हमारी विविधता में एकता, 

अखंडता, सौहार्द, 

पर कलम लिख देती है 

सांप्रदायिकता, जातिवाद, धर्मवाद और 

देश के सम्मान को निर्वस्त्र करती हुई राजनीति |


हृदय लिखना चाहता है 

सिद्धांत, सुंदर और सकारात्मक सोच 

पर न जाने क्यों? 

मेरी कलम को पसंद आता है लिखना 

वास्तविक व्यवहार, सत्य 

और सिर्फ "कटु सत्य"! 

सुरभि शर्मा 

     

             

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