टनाक, छनाक, धडाक, तडाक...
आज अंतिमा की रसोई में सुनामी आयी है | क्रॉकरी सेट डर से थरथरा रहे हैं |दो काँच के ग्लास शहीद हो चुके हैं |पटक कर बंद किए जाने के कारण फ्रिज का दरवाजा थोड़ा जख्मी होकर और जोर से कराहने लगा है |
फ्रिज की घरघराहट सुन अंतिमा ने बुदबुदाते हुए कहा कितनी बार कहा है कि फ्रिज की सर्विसिंग करा लो आज कल परसो टालते टालते दो महीने होने चले पर नहीं सिर्फ बैठ कर मेरी कमियां गिनाने के सिवा कोई काम और हो तो न हुँह|
अंतिमा एक शांत स्वभाव की स्मार्ट गृहिणी है पर कभी कभी उसमें भी झल्लाहट के कारण उबाल आ जाता है और उस उबाल को उसकी रसोई बिचारी झेलती है | फिर आज तो झगडे का कारण ही यही रसोई बन गयी थी दोनों पति - पत्नि के बीच |
तो हुआ कुछ यूँ है आज कि 'सब्जी में थोड़ा नमक आज ज्यादा पड़ गया और अंतिमा के पति ठहरे बिल्कुल परफेक्शनिस्ट तो बिना बोले रह न सके और गर्मी की थकान से जद्दोजहद करते हुए अंतिमा को आज ये बात थोड़ी चुभ गयी उसने भी दो चार बाते पति महाशय को सुना दी और फिर रसोई के बर्तनों की क्लास लगा दी |
खटपट तो हो गयी पर अब ये मन बेचारा शांत कैसे हो जो रह रह कर इस विवाह नाम के संस्कार को कोसे जा रहा है जो लड़कियों को एक बँधन में बाँध कर उनकी जिंदगी में उथल पुथल मचा के रख देते हैं |
तो अब मन ही मन विवाह को गालियाँ देते हुए उसने बाजार का एक चक्कर लगाने का निश्चय कर अपनी अलमारी खोली और लड़कियों की एक ग्लोबल समस्या की, क्या पहनूँ? से जुझने लगी | नजर सामने उपहार में मिले हुए डीप रेड कोल्ड शोल्डर पर पड़ी और साथ में ब्लैक प्लाजो, पहन तो लिया और शीशे में चारो कोने से निहार खुद का जायजा भी ले लिया पर ये टॉप उसकी उलझन थोड़ी बढ़ा रहा है क्यूंकि उसे इस तरह के कपड़े पहनना थोड़ा पसन्द नहीं बार बार जायजा लेकर उसने टॉप बदलने के लिए अपने कपडों की अलमारी फिर से खोली ही थी कि पीछे से उनके पति महोदय ने उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए प्यार से कहा कि "सुनो कान के पीछे काजल लगा लो |"
और बस पल भर में विवाह संस्कार को लेकर हुआ कडवा कसैला मन मिश्री की मिठास सा भर गया |
सुरभि शर्मा
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