आओ सुनाऊँ तुम सबको एक कहानी
ना, ना यहाँ न कोई है राजा
और ना है कोई रानी |
ये कहानी कलमकार की
शब्दों के सब पर उपकार की |
पर कोई क्या कुछ भी लिख कर
लेखक बन जाता है!
आओ देखें सच्चे लेखक की
कलम में क्या - क्या जादू समाता है|
"हो अपने कर्म में आस्था
कल्पनाशीलता की पराकाष्ठा "|
"प्रवृत्ति हो गहन अध्ययन की
थोड़े चिंतन और थोड़े मनन की |"
परिस्थितियों पर हो वृहद सोच.
पैनी दृष्टि और बातों में लोच |
रचना उद्देश्य हो समाज - उत्थान
नवयुवकों की सोच में नव - निर्माण |
कुरीतियों पर बिन डरे करे तीव्र प्रहार
चाटुकारिता से रहे दूर और ना लिखे
झूठे प्रचार |
हो वो धनुर्धर शब्दों का
पर भूखा न हो उपलब्धियों का |
सत्य से हो जिसका वास्ता
प्रसिद्धि के लिए जो न पकड़े
गलत रास्ता |
कलम में हो जिसकी तीव्र धार
रखे जो स्पष्ट विचार |
हो सहज, सरल, सम्वेदनशील
सरस निर्मल बहता सलिल |
सबके लिए मन में हो आदर भाव
दया - प्रेम युक्त हो स्वभाव |
सकरात्मक और सृजनात्मक
थोड़ा बहिर्मुखी थोड़ा रहस्यमयात्मक |
हो वो एक अच्छा इंसान
सबका करता हो सम्मान |
सामाजिक तथ्यों पर रखे जो गहरी नजर
शब्दों को सही रूप देने के लिए रखे
खुद में थोड़ा सब्र |
जो अपनी बातें बेबाक लिखे
"जो पानी को पानी ही लिखे
और राख को राख ही लिखे" |
लिखे कटु सत्य की राजनीति
पर स्व में हो न कूटनीति
समाज का रखे वो नग्न सच
बिल्कुल "प्रेमचंद "कलम सरीखी |
"कभी 'महादेवी' की करुणा लिखे
कभी 'प्रसाद' सा कामायनी गीत लिखे
कभी 'द्विवेदी' सी चींटी से मिलती सीख लिखे
कभी 'पंत' सा प्रकृति - संगीत लिखे |"
जो कबीर, सूरदास सी भक्ति लिखे
जो केशव, जायसी सा रहस्य लिखे
जो बिहारी सा शृंगार की शक्ति लिखे
जो चंदवरदायी सा तत्कालीन समाज का
सर्वस्व लिखे |
कहते हैं "दर्पण, समाज का होता है, साहित्य
फिर लेखक करता है हर वर्ग का प्रतिनिधित्व
उसकी लेखनी का फिर होता है ये दायित्व, कि
वो अपने शब्दों द्वारा करे परहित |
जब किसी कलम में ये सब जादू समा जाता है
फिर उसे स्वयं को लेखक कहने की जरूरत नहीं
वो बिन कहे खुद ही ही सबकी नजरों में |
'कलम का सिपाही' बन जाता है |
धन्यवाद
सुरभि शर्मा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
अनुपम सृजन
शुक्रिया संदीप
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