विद्यालय से घर वापस आकर, घर के सारे काम निपटा 15 अगस्त पर हुई चित्रकला प्रतियोगिता "हमारा समृद्ध भारत" पर बने हुए प्रतिभागियों के चित्रों का आकलन करना शुरू किया तो एक चित्र पर नजर विस्मित सी ठहर गयी कितनी गहराई से सच्चाई का रेखांकन किया था विद्यार्थी ने, कागज पर पाँच कॉलम हर कॉलम दो भागों में विभाजित एक समृद्ध गाथा दर्शाती हुई दूसरी व्यथा दर्शाती हुई
पहला कॉलम के एक खंड में हमारा स्वर्ग कश्मीर, दूसरे खंड में इसे नर्क बनाते आंतकवादी, दूसरे कॉलम में एक खंड में लहलहाते खेत दूसरे खंड में भूख से बिलखते बच्चे तीसरे कॉलम के एक खंड में हवाई जहाज उड़ाती लड़कियां दूसरे खंड में निर्वस्त्र नोची हुई बालिकाएं, और कोख में ही अपना अस्तित्व खोती हुई कन्या भ्रूण, चोथे कॉलम में एक खंड में सर्वशिक्षा अभियान दूसरे खंड में भीख माँगते बच्चे, जवान और बूढ़े, पाँचवे कॉलम के एक खंड में भारत के वीर अमर शहीद और दूसरे खंड में बेवजह धरना देते, भारत बंद करते और आंख मारते हुए देश के भावी करणधार |
अचंभित सी यह सोच रही थी कि इसका आकलन किस आधार पर करूँ समृद्धता या दयनीयता की तभी नजर उस चित्र के नीचे लिखे हुए पंक्तियों पर पड़ी
हमारे देश में कमियां हैं अराजकता है पर सकरात्मक कार्यों और तत्वों का भी धनी है ये देश, चित्र में मैंने दोनों रूप इसलिए रखे हैं कि या तो हम सिर्फ अच्छाई दिखाते हैं या सिर्फ बुराई पर जब अच्छाई और बुराई दोनों को एक साथ उजागर किया जाता है तो हमें बुराई खतम कर अच्छाई को किस तरह और जागृत करना है इस दिशा में काम करने की सही प्रेरणा मिलती है
हमारा देश हमें बहुत प्रिय है और अब थोड़ी थोड़ी बातों के लिए अब न हम इसे टूटने देंगे न अब स्वार्थियों को लूटने देंगे | भारत हमको जान से प्यारा है, सबसे न्यारा गुलिस्ता हमारा है
नम आँखों के साथ अब मुझे कुछ और मूल्यांकन की जरूरत नहीं रह गयी थी |
सुरभि शर्मा
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