अरे मेरी चंदा बेटा आ गई तू स्कूल से जैसे ही श्रुति ने अपनी बेटी रिद्धि को प्यार से कहा दादी झल्ला पड़ी |
कितनी बार समझाया है बहू, लड़की है और लड़की जात से ज्यादा लाड नहीं लड़ाते 9 वर्ष की हो गई और अभी तक एक कप चाय भी न बना सकत है ई, तनी घर गृहस्थी भी सीखा ई लड़कियाँ बेल सी होवत हैं कब बढ़ जात हैं पता भी ना चलत है |जे कुछ नहीं सीख पायी तो नाक कटा देवेगी ससुराल में |सोचा था पोता का मुँह देखकर गंगा नहायेंगे पर भाग्य में अंचरा से अपने आँसू ही पोछना लिखा था |
"अम्माजी अभी ये बहुत छोटी है समय के साथ सीख जाएगी अभी तो सबसे ज्यादा जरूरी इसकी पढ़ाई है और बेटी हो चाहे बेटा ठीक से फलने के लिए तो लाड़ प्यार की खाद दोनों के लिए ही जरूरी है न,आजकल बराबरी की दुनिया है सब बराबर हैं चाहे लड़का हो या लड़की श्रुति ने कहा|
तुम आजकल की बहूअन के मुँह में तो जुबान की जगह एक हाथ की कैची फिट हो गई है एक बात सास के मुँह से निकली नहीं की उसे कपड़े की तरह कतरने चल देती हो, हुँह |
इतनी देर से बहस सुनते हुए अब रिद्धि बोल पड़ी अरे दादी नाराज क्यों होती है पहले मुझे अपने हाथों से खाना तो खिला दो |
आ भई बोझ ही सही पर खिलाना तो है ही |
"अच्छा दादी आप ये बताओ आप 'कल्पना चावला' को जानती हो?
नहीं बेटा |"
" अच्छा बछेंद्री पाल" को?
ना |"
अच्छा हिमा दास?"
अरे कौन हैं भाई इ सब? तेरी सखी - सहेलियों के नाम हैं क्या? "
हा हा हा, अरे नहीं दादी हिमा दास ने ओलिंपिक में दौड़ में गोल्ड मेडल जीता |कल्पना चावला पहली बार स्पेस पर गई, और बछेंद्री पाल जो पहली बार एवरेस्ट पर चढ़ी |दादी एक बात बताओ ई सब भी तो लड़कियाँ ही थी न फिर इत्ते बड़े बड़े काम कैसे कर गई |
अच्छा दादी ये बताओ आप रानी लक्ष्मीबाई, मदर टेरेसा, इंदिरा गांधी इन लोगों को तो जानती हैं न?
अरे हाँ हाँ इन्हें तो हम पढ़े थे अपनी किताब में हम तो अपने समय में कक्षा 7 तक पढ़े हैं सबसे ज्यादा हम ही पढ़े थे अपने गाँव में आगे भी पढ़ना चाहते थे पर गाँव में स्कूल ही न था |
फिर बताओ दादी लड़कियाँ भी तो इत्ते बड़े बड़े काम करती हैं फिर वो बोझ कैसे हुई मैं भी पढ़ लिख कर बहुत बड़ी अफसर बनूंगी |
हाँ बिटिया सही कहत हो हमरी आँख पर पट्टी बंध गई थी, सच है लड़का - लड़की में हमने ही भेद शुरू कर दिया है और खत्म भी अब हमें ही करना है इसे सही बात है ई दुनिया में लड़का लड़की दोनों को बराबर बनाया है भगवान ने |
खूब पढ़ लाडो और खूब आगे बढ़ |
अच्छा दादी ये बताओ क्या अब भी मैं बोझ हूँ?
नहीं बिटिया तू बोझ नहीं, हमारी आन बान शान है कहते हुए दादी ने प्यार से रिद्धि को गले लगा लिया |
धन्यवाद
सुरभि शर्मा
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