साबरमती के संत

जिंदगी की सीख देती हुई साबरमती के संत की कहानी |

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 03 Oct, 2021 | 1 min read

जब छोटी थी तो गाँधी जी से जुड़ी कई कहानियाँ पढ़ी थी जिसमें से एक कहानी ने मुझे बहुत प्रभावित किया था वो कुछ इस तरह से थी - 


 "एक बार एक माँ अपने बेटे को गाँधी जी के पास लेकर आई और कहा इसे मीठा खाने की बहुत आदत है इसे कहिए मीठा खाना छोड़ दे, गाँधी जी ने कहा इसे कुछ दिन बाद मेरे पास लेकर आना, कुछ दिन बाद जब माँ अपने बेटे के साथ वापस गाँधी जी के पास आई तो गाँधी जी ने प्यार से बालक के गाल को थपथपाते हुए कहा ज्यादा मीठा खाने से दाँत और शरीर को नुकसान पहुंचता है अब से मीठा थोड़ा कम खाना, बालक की माँ ने पूछा बापू ये बात तो आप उस दिन भी बोल सकते थे जब मैं पहली बार आपके पास आई थी गाँधी जी ने कहा हाँ बोल सकता था पर उस समय तक मैं खुद मीठा बहुत खाता था तो उसको कैसे बोलता इतने दिनों में मैंने खुद मीठा खाना छोड़ा तब आज इसको समझाया "|


कहानी पढ़ने में साधारण सी है पर मुझे अपनी जिंदगी में कुछ बहुत महत्वपूर्ण बातें सीखा गयी|


 पहली सीख - बात छोटी हो या बड़ी गंभीरता से सही दिशा में उस बात पर सोचो |


दूसरी सीख - पहले तौलो फिर बोलो |


तीसरी सीख - जो बात या व्यवहार खुद को अच्छा न लगे वैसा दूसरे के साथ भी मत करो |


चौथी सीख - दूसरों को किसी भी प्रकार का उपदेश या सुझाव देने के पहले खुद को उसकी जगह पर रख कर देखो की तुम उस बात का कितना पालन करते हो |


और सबसे महत्वपूर्ण सीख ये मिली है इनके जीवन से की जिन्दगी मे जब कुछ बड़े निर्णय करने हों तो सिद्धांत के साथ व्यवहार पर और वर्तमान के साथ भविष्य पर भी विचार करो जिससे आपको या आपके आगे की पीढ़ी को आपके किसी निर्णय पर पछतावा या रोष न हो |


महान व्यक्तित्वों के बारे में कुछ भी लिखना सूरज को दीया दिखाना जैसा ही होता है, शब्दों में तो कभी इन प्रेरणापुंजों से मिलने वाले जिन्दगी की सीखों को बाँधा नहीं जा सकता सिर्फ बाँटा जा सकता है |

   

 धन्यवाद 

  सुरभि शर्मा 


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