नींदिया रानी की आँख मिचौली के बीच रात दबे पाँव चुपचाप गुजर गयी, आज की सहर भी कुछ अलसायी सी खुशगँवार मूड में थी शायद इसलिए बिना मौसम ही बरसना चाहती थी, हवाओं में आज रूमानी अहसास की ठंडक थी, चाय का घूँट भरते हुए अनायास ही हाथ मोबाइल पर चला गया |
"लाल गुलाब, गुड़मॉर्निंग और "दुआएँ जो आसमान में कबूल होती हैं, मेरी उन हर दुआ में बस तेरी ही खुशी की आरजू है"| उफ्फ ये शायराना अंदाज नम आँखें हँस पड़ी फिर से मेरी |"
ब्रेकफास्ट रेडी है और ये रहा आपका लंचबॉक्स और सब कैसा चल रहा है? एवेरीथिंग इज फाइन डियर तुम बताओ तुम्हारी क्लासेज कैसी चल रही हैं? घर से फोन आया था मम्मी से बात कर लेना, वीकेंड शॉपिंग का प्रोग्राम और हाँ आज भी लेट होगा जानती हो नौकरी ऐसी ही है सो तुम मेरे लिए वेट मत करना, डिनर कर लेना ओके बाय! कुछ जरूरत हो तो कॉल कर लेना |
एक मिनट रुकिए जरा, ओह यार रुको शर्ट की क्रिज खराब हो जाएगी मैं खुद कॉलर का बटन बंद कर लेता हूँ ओके बाय टेक केयर!!!
प्यार से बढ़े हुए हाथ कतरे हुए पंखों की तरह छटपटा कर रह गए, ख्वाबों की दुनिया से हकीकत कितनी अलग होती है न!!
" सारे सपने कहीं खो गए
हय हम क्या से क्या हो गए"
वाह!! इसी टाइम मोबाइल का रिंगटोन भी मुझसे सहानुभूति जताने लगा | मयंक कितनी बार तुमसे कहा है मुझे बेवजह कॉल मत किया करो, दोस्त हो दोस्त की तरह रहो |
हाँ तो दोस्ती ही तो निभा रहा हूँ तुमसे, अब बोलो जल्दी खूबसूरत रजनीगंधा केकट्स क्यों बना हुआ है अभी |
तुम नहीं सुधरोगे, बोलो क्या है? मुझे बहुत काम है |सुनो मैं दो दिन के लिए कुछ काम से विशाखापट्टनम आ रहा हूँ, मिलना चाहता हूँ तुमसे |
स्वधा और बच्चे भी हैं तुम्हारे साथ? नहीं मैं ऑफिस के काम से आ रहा हूँ |ओके, वीकेंड होगा तभी मिल पाऊँगी मैं तुमसे ऐसे नहीं |
जारी
सुरभि शर्मा
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