रेन रेन गो अवे, कम अगेन..........
खिड़की से बारिश की बूँदों को देखते ही 3 साल के आरव ने जैसे ही ताली बजाकर उछल कर ये राइम गाना शुरु किया रिया तेजी से किचन से बाहर निकलकर आयीं और आरव को डाँट दिया |
खबरदार जो इस कविता को फिर से गाया तो और हट खिड़की के पास से जाकर a, b, c, d लिख |इधर आरव सुबकते हुए अंदर कमरे में जाने लगा और रिया भरी आँखों से खिड़की के पल्लों को बंद कर पर्दा खिंचने लगी, उसके चेहरे से उसकी बैचेनी साफ झलक रही थी| आँखे पोछते हुए वह फिर किचन में जाने लगी कि उसे उसके पति राज ने आवाज दी जो ये तमाशा थोड़ी दूर पर ही एक चेयर पर बैठ कर देख रहा था |
सुनो रिया, पाँच सालों से तुम्हें देख रहा हूँ कि बारिश का मौसम आते ही तुम कुछ उदास और बैचैन सी हो जाती हो| कई बार पूछने की कोशिश भी कि पर तुमने हर बार बहाना बना कर टाल दिया| आखिर कौन सी चुभन है तुम्हारे दिल में इस खूबसूरत मौसम के प्रति की तुम इससे नफरत करती हो?
हर बार की तरह रिया "कुछ नहीं" कह कर उठने लगी कि राज ने उसका हाथ पकड़ कर फिर बैठा लिया और कहा नहीं रिया आज तुम्हें ये बातेँ खोलनी ही पड़ेंगी क्योंकि तुम्हारी इस कसक का असर अब हमारे बच्चे पर भी पड़ने लगा है, बोलो न रिया आखिर क्या बात है |
हाथों में हाथ लेकर जैसे ही राज ने उससे पूछा, रिया सुबक उठी सब्र का बाँध टूट रहा था अब |
"सच सुनकर सह पाओगे राज तुम? कहीं ऐसा न हो हमारा ये सपनों का संसार हमारी गृहस्थी टूट जाए |
रिया मुझ पर विश्वास रखो ऐसा कुछ नहीं होगा, अपने मन की गिरह खोलो, बाँटो मुझसे अपना दुख |"
तो सुनो अपने आँसुओं को पोछते हुए रिया ने बोलना शुरू किया |
कभी मुझे बारिश बहुत पसन्द हुआ करती थी उस समय मेरी उम्र 15 वर्ष की थी और मेरा छोटा भाई 5 साल का | एक बार मम्मी पापा को किसी बहुत जरूरी काम से बाहर जाना पड़ा | मेरी और मेरे भाई की परीक्षाएं चल रही थी तो मुझे मम्मी ने पड़ोस में आंटी के यहां जो हमारी फॅमिली फ्रेंड थी उनके यहाँ छोड़ दिया दो दिनों के लिए |
उस दिन दोपहर में यूँ ही बारिश हो रही थी, आंटी ऊपर अपने कमरे में सो रही थी |मैं भीगने छत पर चली गयी पीछे - पीछे मेरा भाई भी कागज की नाव लेकर आया, पर पाँच मिनट बाद मैं उसे डांट कर भगाने लगी कि तुझे सर्दी हो जाएगी वो उछल - उछल कर रेन- रेन गो अवे गाकर मुझे चिढाता हुए नीचे भाग गया |
थोड़ी देर बाद..
क्या हुआ रिया थोड़ी देर बाद, राज ने उसे पानी का गिलास पकड़ाते हुए पूछा |
रिया ने दो घूंट पानी पीकर फिर बोलना शुरू किया, थोड़ी देर बाद जब मैं नीचे पहुंचीं तो...
तो फिर क्या हुआ रिया बोलो, राज ने शॉक बैठी हुई रिया को कस कर झिंझोडते हुए पूछा |
जब मैं नीचे पहुंचीं तो देखा तो देखा आंटी के नौकर ने पलाश का मुँह रुमाल से बाँध कर उसे उल्टा सोफा पर लिटाया हुआ था और उसके ऊपर बैठकर..... |
मैं चिल्लाती उसके पहले ही वो कूदकर मेरे पास आया और हाथों से मेरा मुँह दबाकर कानों में फुसफुसाया कि खबरदार जो किसी को कुछ बोला तो वर्ना अपना सोच ले तू तो लड़की है तेरे साथ तो ये सब करने में और मजा आएगा बोल तो अभी लेकर चलूँ कमरे में |
इतना कहकर वो चेहरे पर कुटिल मुस्कान लिए अपने गंदे होंठ मेरे देह पर घुमाने की कोशिश करने लगा | इधर बादल के गरजने की आवाज भी उस समय उतनी तेज नहीं लग रही थी जितनी जोर से मेरा दिल रो रहा था सामने मेरा भाई बेहाल हो धीरे - धीरे बेहोशी की हालत में जा रहा था |
और इधर मैं बेबस सी.....
अचानक मेरे देह से खेलने के मोह में उसका हाथ मेरे मुँह पर से हटा और मैं उसे जोर से दांत काट ऊपर आंटी के पास भागी |
उनके कमरे में जाकर जब उन्हें उठाया तो वो मेरी बदहवास हालत देखकर घबरा सी गयीं मेरे मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी मैं बस उन्हें नीचे इशारा कर रही थी | वो दौड़कर मेरे साथ नीचे आयी |नौकर तब तक दरवाज़ा खोल कर भाग चुका था |और मेरा भाई......
और मेरा पाँच साल का भाई उसे इस मनहूस बारिश के दिन में मैंने हमेशा के लिया खो दिया वो मासूम जान इतना दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाया |
बात अंकल - आंटी के भी इज़्ज़त की थी इसलिए इन सब बातों को अंदर ही अंदर दबा दिया गया |
पर उस दिन के बाद से ही मुझे बारिश से नफरत हो गयी काश मैंने अपने भाई को अपने साथ ही रखा होता......
आरव ने अपनी मम्मी को जब हिचकियाँ लेकर रोते हुए सुना तो वो कमरे के बाहर आकर जल्दी से अपनी मम्मी से लिपट गया और आँसू पोछते हुए रिया से बोलने लगा मम्मी मत रो अब मैं कभी बारिश में नहीं खेलूँगा रेन - रेन पॉयम भी नहीं बोलूंगा बस आप चुप हो जाओ |
इधर राज ने रिया का हाथ पकड़ा और बोला बाहर चलो रिया और खिंचते हुए बाहर ले जा बारिश में खड़ा कर दिया और कहा इस बारिश ने तुम्हें इतना दर्द दिया है न अब तुम इन्ही बारिश की बूँदों संग अपने मन की जमी हुई तपिश पिघलने दो और रिया राज के सीने से लग फूट - फूट कर रोने लगी जैसे बादल गरज़ गरज़ कर बूँदों को बरसा कर अपना दुख कम कर रहे हों |
धन्यावाद
सुरभि शर्मा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Behad khubsurat
बेहतरीन रचना। 👏🏼👏🏼
बहुत लाजवाब लिखा,👏👏
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