"बता सोहम बेटा तू बड़ा होकर क्या बनेगा?"
"मम्मी, मैं बड़ा होकर पवनदीप की तरह सिलेब्रिटी बनूँगा|"
"अरे वाह! पर पता है इसके लिए तुझे बहुत मेहनत करनी पड़ेगी |"
"हाँ मम्मी, मैं बहुत मेहनत करूँगा|"
अच्छा अब जा, जाकर पढ़ाई कर मुस्कराते हुए सात साल के सोहम को उसने उसके कमरे में भेज दिया पर उसके माथे पर चिंता की कुछ लकीरें उभर आयी उसका ये जवाब सुन कर, और मन अतीत के गलियारे में भटकने लगा |
कई साल पहले सारे गामा पा लिटिल चैम्प के एक प्रतियोगी
'दिवाकर शर्मा 'से लगभग उसे प्रेम सा हो चला था बैचैनी से उसे इंतजार रहता उसे टीवी पर देखने का और उसके द्वारा गाया हुआ एक गीत -
"छोटी सी कहानी से
बारिशों के पानी से
सारी वादी भर गयी
न जाने क्यों दिल भर गया
न जाने क्यों आँख भर गयी |"
ये गीत उसकी जुबान दिन रात भँवरों की तरह गुनगुनाते रहते |
"कितनी गालियाँ दी थी उसने उस प्रतियोगी की मम्मी को जिसने एक दिन जजों पर ये आरोप लगाया था कि वो सहानुभूति के तहत दिवाकर के नेत्रहीन होने के कारण उसे ज्यादा महत्त्व देते हैं |ये टैलेंट शो है तो इसमें सिर्फ टैलेंट जज
किया जाना चाहिए न कि निजी जीवन |"
और कितनी खुश हुई थी वो उस दिन जब टॉप थ्री में दिवाकर ने अपनी जगह बना ली थी |शो खत्म हुआ, धीरे - धीरे उसकी यादें धुंधली पड़ने लगी |
अब उम्र का बचपना जा चूका था और ऐसे मेें शुरू हुआ "स्वयंवर" नाम का एक रियलटी शो |वो तड़क - भड़क शानदार ढंग से शो के माध्यम से कोई अपना जीवनसाथी ढूँढ रहा था |हमारे मोहल्ले से भी एक गयी थी उस शो में लगा कि वरमाला उसके ही गले में पड़ेगी पर देखते देखते बाजी कोई और मार ले गया, और इनकी शादी के लिए इनके घर वालों को बरसों पापड़ बेलने पड़े|
फिर कुछ शो में जजों के झगडे, कुछ शो में प्रतियोगियों की सरेआम बेइज्जती, कुछ की पारिवारिक परिस्थितियों का रोना सब कुछ ने टैलेंट को दूसरे नंबर पर कर दिया और बातों को पहले नंबर पर |यहाँ तक कि पैसों के लिए एक शो में खुद को विलेन वाली इमेज में ढालने से भी गुरेज नहीं कर रहे थे|
गीत - संगीत, नृत्य ये सब तो सुकून के लिए होते हैं |पर देखा - देखी ये नाम कमाने के लिए सबका जुनून बनने लगे |छोटे - छोटे बच्चे किताबों को छोडकर सास - बहू, दामाद की ऐक्टिंग कर रहे रियल शो में |
शुंssssssss शीsss शुं - शी ssss
जिया ये सब सोच ही रही थी कि तभी प्रेशर कुकर की आवाज ने उसकी तन्द्रा भंग कर दी| और गैस बंद करते हुए वो सोहम को समझाने चल दी|
"बेटा ये रियलटी शो नाम के रियल होते हैं, जो लोगों के मनोरंजन कर पैसा कमाते हैं, इनके द्वारा कुछ समय के लिए तो तुम नाम कमा लोगे पर स्थायी रूप से जिन्दगी में सफल हो पाओ ये जरूरी नहीं क्योंकि ये कला से ज्यादा कलाकार की जिंदगी को मिर्च - मसाला लगाकर " चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात "की तर्ज पर गुनते हैं |
तो बेटा तुम सेलिब्रिटी जरूर बनना पर अपने गुणों और कर्मो के द्वारा न कि इन दिखावे के रियल शोज के सहारे |
धन्यवाद
सुरभि शर्मा
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