मालती कमरे में खाना रख कर जा चुकी थी, आभास ने मासी माँ से कपड़े बदलने के लिए कहा और खाने की थाली पर नजर दौड़ाई |आलू के पराठे, टमाटर आलू की तरीदार सब्ज़ी,कटहल का अचार, पुदीने की चटनी, फ्रूट कस्टर्ड खाने का मेन्यू देखकर आभास के होंठो पे एक हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी सब कुछ मासी माँ की पसन्द का था |वह खाना देखकर कुछ सोच रहा था कि तब तक नाइटी पहन कर मासी माँ आ गयी |खाना देख खुश होते हुए पहला निवाला आभास को खिलाया |आभास ने भी मासी माँ के मुँह में कस्टर्ड का चम्मच डाला और यूँ ही मसखरी में पूछ बैठा की ये पचास की उम्र में नृत्य का शौक फिर से क्यों जगा लिया, वो मुस्कुरा दी और बोली की कलाकार की प्रतिभा सोती ही कब है रत्न |अब जा तू भी जाकर आराम कर और हाँ सुन मैं न रहूँ तब भी तुझे इस घर से कोई बेघर नहीं कर सकता वो झूले और नैनो क्लॉक वाले बारजे से सटा कमरा और अपना ये प्यारा सा छोटा सा स्कूल मैंने तेरे नाम लिख रखा है तो तू निश्चिंत रह|आभास रो पड़ा मासी माँ मुझे ये सब नहीं चाहिए बस तुम्हारा हाथ मेरे सिर पर रहे वो ही बहुत है उसकी बाते सुन मासी माँ की आंखे भी गीली हो गयी उन्होंने उसका गाल थपथपाते हुए दुलार से कहा जा सो जा बेटा |
और अगले दिन मालती काकी सुबह आठ बजे के लगभग जब मासी माँ को चाय देने गयी दो तीन बार आवाज लगाने पर भी मासी माँ नहीं उठी तो उन्होंने उनका हाथ हिलाने की कोशिश की और हाथ छूते ही जोर से चीख पड़ी अभय बाबु, आभास बाबु जल्दी आवा लोगन, दीदी हमनी के छोड़ के चल गईली और कुछ ही क्षणों के अंदर सक्सेना सदन में कोहराम मच गया|
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आज मासी माँ की तेरही की रस्म पूरी हो गयी| अब कल उनकी वसीयत पढ़ी जाएगी अभय को थोड़ा सा खटका लगा हुआ है कि वो माँ मेरी थी पर उन पर मुझसे ज्यादा आभास का अधिकार था पर आभास को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं था उसके आँखों के सामने वो नजारा घूम रहा था जब वो छः साल की उम्र में मासी माँ की उंगली थामे इस सक्सेना सदन में आया था |
मासी माँ -" मासी माँ अब मैं भी यही रहूँगा न तुम्हारे साथ"? इतने बड़े घर में उसने इशारे में अपने दोनों हाथों में पूरे घर को समेट लेने का अभिनय किया था |
हाँ मेरे रत्न मासी माँ ने उसे लाड़ जताते हुए कहा था |
अभी वो ये सब सोच ही रहा था कि मालती ने उसके हाथों में चाय का कप पकड़ा दिया |चाय लेते हुए उसने मालती से पूछा काकी आपने चाय पी? हाँ के इशारे में वो सिर हिलाते हुए चले गयी |
चाय का घूंट लेते ही अचानक उसे मासी माँ की डायरी का ध्यान आया और वो सरपट ऊपर अपने कमरे की तरफ भागा |
क्रमशः
सुरभि शर्मा
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