पीहर तेरी यादें
पीहर तेरी यादें
अंखियाँ भींगा दें
पीहर तेरी यादें |
वो बाबुल की उँगली
वो माँ
तेरा आँचल
वो अनुशासन की धूप
वो ममता का बादल
बोल कैसे भूला दें
पीहर तेरी यादें |
पीहर तेरी यादें |
वो चंदा - मामा
वो मीठी लोरी
वो अ, आ, इ, ई
वो ए, बी, सी, डी
वो मछली जल की रानी
वो गुड़िया सयानी |
बोल अपना बचपन
कैसे भूला दें!
पीहर तेरी यादें,
पीहर तेरी यादें |
वो टीन का बक्सा
वो ताला - चाभी
खैर नहीं थी उसकी
जो इसे छू दे जरा भी |
वो लूडो, कैरम
वो कागज की कश्ती
वो कपड़े की गुड़िया
वो किचेन सेट
जिसमें हमारी
जान थी बसती
चार गज जिम्मेदारी
की साड़ी में लिपटे हुए
बोल खेल-खेल में
चुन्नी की साड़ी पहनना
कैसे भूला दें!
पीहर तेरी यादें
पीहर तेरी यादें |
वो दिवाली की चरखी
वो रेशम की डोरी
कोई दिल का टुकड़ा
कोई चंदा - चकोरी
खाने की थाली
पे जो सौ थे वो नखरे
अब कोई क्यूँ नहीं
घूमता मेरे पीछे
दूध का गिलास ले के
ये बात मोहे
अब बहुत अखरे
कहानी बना, अपने हाथों से
मेरे मुँह में कौर डाल देना
बोल माँ कैसे भूला दें!
पीहर तेरी यादें
पीहर तेरी यादें
जो हुए थोड़े बड़े
शौक नए कई थे चढ़े
वो आंवला-शिकाकाई
वो चंदन का उबटन
पकौड़े तलना सीखा नहीं था अभी
पर तन चखने लगा था बेसन |
वो रात भर पढ़ाई
परीक्षा के हवाले
माँ तू भी जगी रहती
पकडाने के लिए हमें
चाय - कॉफी के प्याले |
रिजल्ट देख हम हँसते
आँखे तेरी नम होती
क्योंकि ये तेरा ही आशीर्वाद
और परिश्रम होते |
वो कॉलेज की सखियों
और सावन के झूले
बोल कैसे भूला दें
पीहर तेरी यादें
पीहर तेरी यादें |
खुद की पहली
मेहनत से तेरे लिए साड़ी खरीदना
आँखों में खुशी छुपाये
तेरा मुझको डपटना
"बचा के रखना सीख "
सुखद गृहस्थी के वो
तेरे गुण सिखाना
माँ तू ही बोल
कैसे भूला दें!
पीहर तेरी यादें
पीहर तेरी यादें |
फिर चूडी की खन - खन
और पायल की छन - छन में
वो घड़ी आयी
मेहंदी लगे हाथ और
सुर्ख लाल जोड़े में
अपने ही घर से
मेरी हो गई विदाई |
कहने लगे लोग बाबुल से
चलो जिम्मेदारी निपट गई
अच्छे से,
आँसू पोंछ लो अब अपने
माना तुम्हारा अंश है
पर अब हो गई वो परायी |
एक पल को कुछ होश न रहा
फिर बात समझ ये आयी
अब बस रह गयी इस
आँगन की तुलसी
बाबुल अब न तुझ पे मेरा
न मेरा तुझ - पर अधिकार
जरा सा,
पर जाने क्यूँ ये
दिल पूछना चाहे
कि इतनी कठोर रीत
बनाते हुए तुम्हें
जरा दया न आयी
अपने ही मिट्टी से
क्यों कर दिया बेटियों को परायी?
क्या कोई और तरीका नहीं था
संसार और सृजन को चलाने का
कोई तो बता दे,
कोई तो बता दे
पीहर तेरी यादें
पीहर तेरी यादें
अंखियाँ भींगा दे
पीहर तेरी यादें |
सुरभि शर्मा
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