Surabhi sharma
26 Apr, 2024
सपने
आईना आज फिर कुछ बोल रहा है
दबी ख्वाहिशों को फिर टटोल रहा है
जमी बर्फ से ख्वाब आँखों में फिर
पिघल रहे हैं
आसमाँ में उड़ने कोपंख फिर से
मचल रहे हैं
सोये हुए सपने जग के फिर
सम्भल रहे हैं
ख्वाहिश, ख्वाब, सपनों को हकीकत के तराजू पर
फिर तौल रहा है |
Paperwiff
by surabhisharma
26 Apr, 2024
#topicfreecontest-8
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