Surabhi sharma
Surabhi sharma 17 Sep, 2022
प्रेम
जब - जब मैंने प्रेम को शब्दों में परिभाषित करना चाहा, मस्तिष्क - पृष्ठ भरता गया और हृदय से भावनाएँ रिक्त होकर शून्य होती गयी |

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by surabhisharma

17 Sep, 2022

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