Surabhi sharma
Surabhi sharma 06 Jul, 2024
प्रेमरंग
छम-छम छमकती बूँदों क्यूँ इतना इतरा रही हो,? साजन तो हैं परदेश क्यूँ सजनी को सता रही हो बादलों की तान मे ना यूं अलापो प्रेम राग बिजूरिया के संग' ना खेलो यूं रास - रँग क्यूँ नाच रही झूम - झूम क्या आती नही तुझे शर्म ठंडी - ठंडी बयार की आड़ ले, क्यूँ अगन जला रही हो छम-छम छमकती बूँदों क्यूँ इतना इतरा रही हो,?

Paperwiff

by surabhisharma

06 Jul, 2024

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