Surabhi sharma
Surabhi sharma 19 Apr, 2024
ज़ंग
इंद्रधनुष खिला है आकाशी फिर भी जमीं मेरी कुछ बेरंग सी है मुट्ठी में बंद हैं ख्वाहिशें सारी, और हथेलियों पे खुशियाँ कुछ तंग सी हैं सरहद पर तो हो तुम खड़े फिर जिंदगी मेरी क्यों जंग सी है?

Paperwiff

by surabhisharma

19 Apr, 2024

#topicfreecontest-7

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