Surabhi sharma
04 May, 2024
बस कुछ यूँ ही
माना की चलूँगी जब
मंजिल के लिए एक सफर पे
मिलेंगे रास्ते कई
कुछ होंगे कीचड़ भरे
कुछ होंगे दलदल सने |
हो सकता है के गिर पडू
थोड़ा सम्भल जाऊँ या लड़खड़ाऊँ
या तो उठ कर आगे निकल पडू
या वहीं कीचड़ में कमल सी खिल
लोगों के लिए सुन्दर, सहज मार्ग बनाऊँ |
Paperwiff
by surabhisharma
04 May, 2024
#topicfreecontest-9
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