हमारी इच्छा हमें बना सकती है
हमारी इच्छा हमें बिगाड़ सकती है
हमारी इच्छा हमें और हमारे निमित से कई जिंदगियां संवार सकती है
हमारी इच्छा हमें और हमारे निमित से कई जिंदगियां बर्बाद भी कर सकती है
इच्छा हमें बाल धैर्य और ठहराव दे सकती है
इच्छा सिर्फ खान पान घूमने फिरने कुछ पाने तक सीमित नहीं होती बल्कि हमारे दिनचर्या के हर काम में होती है
हमारी इच्छा की पूर्ति न होने पे विपरित इच्छा उत्पन्न होती है जो हमसे अनजाने में गलत काम करवाती है
इच्छा जो एक पल में मुस्कुराहट को आंसू में बदल दे और इच्छा जो एक पल में आंसू को मुस्कुराहट में बदल दे
आजकल तो इच्छाओं को बढ़ने से रोकने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते
शांत करने के लिए अपने से बाहर ढूंढने की जरूरत नहीं बल्कि शांत बैठ कर अपने अंदर झांकने की है के हमारी जरूरतें कितनी हैं
क्या हमें वह इच्छाएं पूर्ण होने पर शांति मिलेगी?
नहीं। बल्कि एक नई इच्छा की उत्पत्ति होगी और यह ऐसा ही चलता रहेगा जब तक हम अपनी असल जरूरतें पहचाने ।।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
Thank you maam
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