Suman Ji
03 Sep, 2020
पहले के जैसे
पहले के जैसे
अब वो लोग नजर नही आते,
धुंधली आंखो से भीड में अब चेहरे नहीं पहचाने जाते,
पास बैठकर बातें करना बीती बात थी,
अब लौटकर वो जमाने नहीं आते।
पुराने खतो को अब कौन बार बार पढा करता हैं,
मोबाइल के इस दौर में अब पहले के जैसे उनमें
तराने नहीं आते।
तरक्कीया करली हैं कि अब तो नफरतो ने भी,
मुस्कुरा के कत्ल करदो तो लोग गम जताने नहीं है आते।
और सुना हैं कि एब उसे भी लग गया है
महफ़िल में जाने का,
मगर अफसोस की वो चार दोस्त पुराने नही आते।
पहले के जैसे अब जमाने नही आते।
स्वरचित
सुमन
Paperwiff
by sumanji
03 Sep, 2020
पहले के जैसे
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