बच्चो कल क्रिसमस है, आप लोगो के सबके पास अच्छे अच्छे खिलौने और गरम कपडे हैं, कुछ ऐसे भी होंगें, जिनसे खेल खेल कर आपका मन भर गया होगा, कपडे छोटे भी जरूर होंगें, जिन्हे आप अब पहनते नही होंगें, नये कपडो में भी, कुछ आपको अच्छे नही लगते होंगें, तो आप पहनते नही होंगें... ""
""जी सर जी""
लेकिन क्या आप जानते हैं,जिस झोपड पट्टी में, मैं शाम को पढाने जाता हूं, बच्चो को ,उनके पास ये सब नही हैं, बैठने की भी सही व्यवस्था नही है.. ""
अच्छा ,सर जी""फिर तो बहुत मुश्किल होती होगी उनको.. वैभव ने कहा... "
बहुत.. ""
तो आप लोग ऐसा किजीए कल आप लोग अपने घरो से नया या पुराना जो भी सामान उन्हे देना चाहते हैं, उसे ले आइये, और ये ड्रम जो रखा है, उसमें लाकर रख दीजिए, जिससे किसी को आपस में ये भी ना पता चले कि कौन क्या लाया.. "
लेकिन सर, छुपाना क्यों...? "
क्योंकि.. हमें कभी भी दी हुयी चीज के कारण घमंड ना हो, ""
इसे गुप्त दान कहते हैं.. ""
दूसरे दिन बच्चो ने अपने लाये सामान से ड्रम भर दिया.. ""
तभी क्लास में एक सैंटा ने प्रवेश किया और सभी बच्चो को टॉफी, चॉकलेट दी,... उसके बाद ,उसने एक बडा सा थैला लिया और ड्रम से बच्चो के रखे हुए उपहार उसमें भरने लगा,..
बच्चों.. मैं इन उपहारो को, झोपड पट्टी के बच्चो में बांट आऊं, आप लोगो की अब छुट्टी, अब आप घर जाकर एंजोय कीजिए.. ""
अच्छा सर जी,..
कहते हुए सभी बच्चे स्कूल से निकल गये और सर जी सैंटा बनकर दूसरे बच्चो को खुशियां बांटने...।।
@सोनू लाम्बा
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