अभी हाल ही में इससे पहली रचना जो मैने पेपरविफ पर पोस्ट की है ,वो एक कहानी है ,"वाणी दोष"
कहानी की अपनी सीमाएं होती हैं ,इसलिए उसे तो कहानी की तरह ही लिखा गया है लेकिन उसी संदर्भ को आगे बढा़ते हुए मैं आज वाणी दोष की बात करूंगी,उसके समाधान की बात करूंगी ..!! उपाय बहुत ही सरल है और कारगर भी ,
जिस भी व्यक्ति को ये रियलाइज हो जाये कि वो इस दोष का शिकार है तो उसे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बोल बोल कर नाम जप करना चाहिए ,
ईश्वर के नाम का जप ,जिस भी पंथ को मानते हैं ,उसी से समबन्धित कर लें ।
जैसे ..शिव शिव ,राम राम ,कृष्ण कृष्ण ,राधे राधे या जो भी मन को भाता हो ,ये कभी भी किसी भी वक्त जब भी जरा सी फुरसत हो मानसिक या वाचिक रूप से चलता रहे ।
भजन गाना या गुनगुना ,आरती पूजा या मंत्र जाप ,जैसी क्रियाओं में भी भाग लें ,
अर्थात वाणी से जितना ईश्वरीय नाम का वाचन होगा वो शुद्ध होती जायेगी और जब रियलाइजेशन हो ही जायेगा तो खुद भी व्यक्ति उसे निंयत्रित करने की कोशिश करेगा ही ।
और ऐसा कुछ है ही नहीं जो कोशिश करें तो ना हो ,खासकर अपने व्यवहार में परिवर्तन ,
आशा करती हूं ,इससे कोई न कोई जरूर लाभान्वित होगा ।।
©®sonnu lamba
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