अजी बडी देर कर दी आज तमने आण में... खेत तै,
कित रह गये थे.... तीन बेर तो मैं गलिहारे तक देख आगी,
बडा जी घबरावै...आसमान में बादल भी उमड घुमड रहे, ऐसा लग रा जणै कोई आंधी तूफान आवैगा...।
हां, शयामो...बस यो ई डर मनै भी, फसल पकी खडी गेहूँ की और ऐसे में बारिश हो गी तो घणी बरबादी हो जागी, बस एक बेर दाने घर मा आ जा... आज कटैया ढूंढने फिर गिया आसपास के गामा में भी कोई ना मिला .."
इसा कर ला रोटी दे दे और जल्दी सो जा अपना काम निपटा कर, सुबह सबेरी दोनों चाल के खुद ही कटाई लगावगें ...ईब गेहूं तो घर लाने ही है..!
हां ठीक कहो हो ,जाओ हाथ मुंह धो लो ,मैं खाना लगा दूं.. "
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अरे राजा के पिताजी देख्यो घणी तैज आंधी चाल भी सै, जरा गाय और बछडे को अंदर बांध दो ,और ये खाट भी भीतर कर ल्यो, अब यहां ना सोया जावै बहुत ही धूल उड री ,
"ठीक है.. चाल थोडी मदद कर ..""
"हां, हांजी.. "
ई ल्यो.. ये तो पडण लागी बूंद.. "
हां, ये तो तेज बारिश होने लगी , चल खाट कपडे तो भीतर हो गये.. "
गाय ने ओर बांध आऊं.. "
हां.. "
श्यामो ..बारिश तो बढती जा.. "
हां जी.. "
अब फसल का क्या होवैगा, अब तो खडी खडी बिछ जागी इतने आंधी तूफान में.. "
कै टेम हो गया "
अभी तो रात के एक बजे जी.. "
ये क्या छत पे घणी तैड तैड आवाज आ रही.. इन्नी मोटी बूंद है क्या ..राजा के पिताजी.. "
अरि वो देख आंगन में... ओलै पडै हैं औले, अब तो बची खुची उम्मीद भी गयी, अब फसल ने बचान वालै कोई ना मिलेगा..!
आंधी, बारिश, ओले सब एकसाथ, बडी भयानक रात है जी..। "
किसान की पकी फसल पे बारिश हो और जब फसल को पानी की जरूरत होती है उगाने को तब सूखा पडा रह..!
ये कैसी विडम्बना है थारी प्रभु ...।
कहते हुए रमेश सर पकड कर बैठ गया..और मन ही मन सोचनै लगा फसल बच जा अबकी.. किसी तरह.... बंद हो जा ये बारिश..।
श्यामो तवा उल्टा ही रख दे अपणा, नू कह उल्टे तवे को रखने से बारिश थम जावै..!
कुछ ना हो जी,
"क्या बालका वाली बात करो हो, इस उम्र में.. "।
"लो उलट दिया तवा.. "
"हां री, जब किस्मत ही उल्टी पडी हमारी तो ..""क्या दोष दें भगवान को भी... "।।
©®sonnu Lamba
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
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Thanks
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