ये जीवन है.. 4

सूरज लहू लुहान है, हर शाम देख ले,

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 11 Aug, 2020 | 1 min read
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🙏 ये जीवन है ...४..🙏

आज एक किस्सा सास बहू का है....ये रिश्ता जितना अहम् है उतना ही इसमे तनाव रहता है ...। शायद मां जब ये देखती है कि बेटा अब मेरे पीछे ना घूम कर किसी ओर के आगे पीछे घूमने लगा तो शायद बहू से jealous feel करती है....इस बात को पक्के तोर पर कहना अभी उचित नही है....।

 

हां तो कहानी 18 साल के time period की कहानी है....बहू शादी होके घर आई ....घर के तौर तरीके कामकाज ....घर के सदस्य ,सबको समझना और सबके दिलो मे अपनी जगह बनाना किसी चुनौती से कम ना था.....। किन्तु सासू मां की तो हर बात ही तानो मे सिमट जाती थी....उनका एक सदाबाहर ताना था कि "मै किसी के असरिया नही हूं तेरे जैसे दस को कर के खिला दूं" 

बहु बहुत परेशान होती ...बहुत कुछ कहना चाहती....कुछ कहने की कोशिश भी की किन्तु परिणाम शून्य रहा है.....17 सालो तक ये तनाव जिंदगी के साथ साथ चलता रहा....फिर एक दिन सासू मां बीमार पडी.....बीमार भी ऐसी कि चलने फिरने मे भी problem..... । तब उसी बहु ने उनके सब काम किये.....धीरे धीरे चलना फिरना शुरू हुआ लेकिन उनके दिमाग पर भी असर पडा....शायद,और वो अपना पंसदीदा ताना भूल गई या उन्होने कहना बंद कर दिया....।बहू ने कई बार पूछना चाहा, किन्तु उनके दिल को ठेस ना लगे इसलिए नही पूछा लेकिन उसे बार बार ये ख्याल अाता रहा क्यूं कोई अपनी आदतो से अपनो को ही तंग करता रहता है और उसे पता भी नही चलता.....मुझे इस वाकये पर एक शेर रह रह के याद आता है....।

 

सूरज लहुलुहान है हर शाम देख ले....

जिंदगी हर गुरूर का यही अंजाम देख ले......"।

 

©sonnu Lamba 

 

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